गोरखपुर में गंगाराम हाथी अब जिला प्रशासन आपदा और वन विभाग के लिए सर दर्द बन गया है. पिछले 9 महीना से वह परिस्थितियों और सरकारी तंत्र के फेर में उलझ कर चर्चा में बना हुआ है. अर्से तक भाजपा विधायक की शान रहा हाथी गंगाराम को विधायक अब उसे अपना नहीं बता रहे हैं. जबकि वन विभाग उसे पालतू मान रहा है. गंगाराम से जुड़ा ताजा मामला 3 लाख की प्रतिपूर्ति की धनराशि को लेकर गरमाया है. जिसमें आपदा और वन विभाग में खींचतान बढ़ गई है. डीएफओ विकास यादव ने बताया कि प्रशासन की तरफ से की गई धनराशि की डिमांड उच्च अधिकारियों व शासन के पास भेज दी गई है. जल्द ही धनराशि मिल जाने की उम्मीद है. जिसके बाद प्रशासन को उपलब्ध करा दिया जाएगा. हाथी यज्ञ में आया था घटना के बाद ना उसका कोई स्वामी था. और नहीं पूछताछ में किसी ने कुछ बताया. इसलिए वन विभाग ने उसे पाने संरक्षण में रखा हुआ है.
फरवरी 2023 में शहर के सटे चिलूवाताल थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर माफी गांव में महायज्ञ के दौरान निकली कलश यात्रा में बिदके हाथी ने तीन लोगों की जान ले ली थी. जिसके बाद से गोरखपुर ग्रामीण भाजपा विधायक विपिन सिंह ने इसे अपना मानने से इनकार कर दिया था. हाथी के लाइसेंस का नवीनीकरण भी नहीं हुआ था. इसलिए वन विभाग ही फरवरी से इसकी देखरेख कर रहा है. विनोद वन में रखे गए हाथी के लिए रोजाना 25 किलो गन्ना, 2 क्विंटल चरी, दो क्विंटल हरा पत्ता, 50 किलो गुड़ की खुराक दी जाती है. वन विभाग अब इसकी खुराक को जुटा पाने में खुद को असमर्थ बताते हुए प्रशासन से मदद मांग रहा है. हाथी गंगाराम को रखने के लिए गोरखपुर के चिड़िया घर में पहला बड़ा बनाने की योजना थी इसके लिए 16 करोड रुपए का प्रस्ताव भी तैयार कर भेजा गया है. मगर इसी स्वीकृत नहीं मिली फिर से करीब 6.50 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है.
फरवरी 2023 में गोरखपुर के चिलुवाताल थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर माफी गांव में महायज्ञ के दौरान निकली कलश यात्रा में हाथी विदक गया और तीन लोगों की जान ले ली. मृतकों को पांच 5 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा हुई थी. राज्य आपदा मोचक निधि के अंतर्गत आपदा विभाग को चार-चार लाख रुपए और वन विभाग को एक लाख रुपए देने थे. लेकिन मामला हाई प्रोफाइल हुआ तो तूल पकड़ने के डर से आपदा विभाग ने तीनों मृतकों के स्वजनों को पांच-पांच लाख रुपए दे दिए.
अब विभाग स्वजनों की अतिरिक्त दी गई 3 लाख की धनराशि वन विभाग से मांग रहा है. उधर वन विभाग की दलील है की गाइडलाइन के मुताबिक जंगली हाथी के हमले में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने की दशा में तो विभाग आर्थिक सहायता देने के लिए अधिकृत है. मगर यह हाथी पालतू है. ऐसे में वह प्रतिपूर्ति की धनराशि नहीं दे सकता है. इसके उलट आपदा विभाग दलील दे रहा है की गाइडलाइन में कहीं यह भी नहीं कहा गया है कि हाथी पालतू होगा तो आर्थिक सहायता नहीं दी जाएगी. आपदा विभाग को तय धनराशि से अधिक खर्च करने पर मामला ऑडिट में फंसने का भय सता रहा है.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर
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