झारसुगुड़ा उपचुनाव से पहले दलों में उथल-पुथल, नेताओं का पलायन जारी

उपचुनाव के पहले जिस तरह से बीजद व भाजपा नेताओं के दल-बदल करने की होड़ लगी है. इससे यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि कौन सा नेता किस दल में शामिल होगा. आगे अभी सभी दलों के स्टार प्रचारकों की बड़ी-बड़ी सभा होनी है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 25, 2023 10:11 AM

आगामी 10 मई को होने वाला झारसुगुड़ा उपचुनाव बेहद रोचक होता जा रहा है. अपनी ताकत जुटाने में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास तेज कर दिये हैं. कौन सा दल किस नेता व संगठक को अपने दल में शामिल कर सकता है, इसकी जोर आजमाइश चल रही है. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला भी चल निकला है. ताजा चर्चा में आदिवासी संगठक महेंद्र नायक के कांग्रेस छोड़कर बीजद में शामिल होने की है. बीजद में शामिल होते ही महेंद्र कांग्रेसियों पर हमलावर हो गये हैं, जबकि महेंद्र पर कांग्रेसी नेता तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं.

कांग्रेस नेताओं के आरोपों का खंडन करते हुए महेंद्र नायक ने दल परिवर्तन का तर्क रखते हुए इसे सही बताया. दूसरी ओर भाजपा की अगली पंक्ति के नेता त्रिनाथ ग्वाल ने भी भुवनेश्वर में ब्रजराजनगर विधायक अलका महंती व बीजद के वरिष्ठ नेता देवी प्रसाद मिश्रा की उपस्थिति में भाजपा छोड़ बीजद का दामन थाम लिया. यह उनकी घर वापसी बतायी जा रही है. इसी के साथ त्रिनाथ को लेकर कई दिनों से चली आ रही अटकलें भी खत्म हो गयीं. गौरतलब है कि गत नगरपाल चुनाव में त्रिनाथ को बीजद ने उम्मीदवार नहीं बनाया था तो वे बीजद छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे और भाजपा ने उन्हें नगरपाल पद का उम्मीदवार बनाया था.

कांग्रेस में रहने वाले कोलाबीरा के जमींदार के वंशज रुद्र प्रताप सिंह ने भी बीजद का दामन थाम लिया. वहीं, झारसुगुड़ा पंचायत समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रशांत पटेल जो पहले कांग्रेस और फिर बीजद में शामिल हुए थे, उन्होंने बीजद छोड़कर भाजपा का साथ पकड़ लिया है. अब बीजद की महिला नेत्री सुकांती जयपुरिया भी बीजद छोड़ने की तैयारी में हैं.

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स्टार प्रचारकों की सभा से उम्मीदें

उपचुनाव के पहले जिस तरह से बीजद व भाजपा नेताओं के दल-बदल करने की होड़ लगी है. इससे यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि कौन सा नेता किस दल में शामिल होगा. आगे अभी सभी दलों के स्टार प्रचारकों की बड़ी-बड़ी सभा होनी है. उक्त सभा में भी कुछ नेता, संगठक व कर्मी अपनी पार्टी छोड़ अन्य पार्टियों में शामिल हो सकते हैं और इस उपचुनाव में सभी दल एक-दूसरे को मात देन में लगे हैं. उपचुनाव में सबसे अधिक दल-बदल होगा ऐसी संभावना बन गयी है.

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