AK-47 case: देश के बहुचर्चित एके-47 के एक मामले में व्यवहार न्यायालय के एडीजे-7 विपिन बिहारी राय ने दो अभियुक्तों को दोषी करार दिया. जबकि, मामले के 10 अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. अदालत ने जिन दो अभियुक्तों पर आरोप गठित किया है, उनमें मुंगेर के मो इरशाद और बेगूसराय के सत्यम कुमार शामिल हैं. सजा के बिंदु पर अगली तिथि को सुनवाई होगी.
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एडीजे-7 विपिन बिहारी राय की अदालत ने बुधवार को कोतवाली कांड संख्या 555/ 18 और सत्रवाद संख्या 172/21 मामले में सुनवाई की. बचाव और अभियोजन पक्ष के साथ-साथ पुलिस द्वारा उपलब्ध कराये गये साक्ष्य और गवाहों को सुनने के बाद मो इरशाद और सत्यम को दोषी करार दिया गया. घटना में कुल 13 लोगों को नामजद किया गया था. लेकिन, साक्ष्य के अभाव में 3 महिला सहित 7 पुरुष अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया.
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घटना को लेकर बताया जाता है कि दिसंबर 2018 को नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 21 की वार्ड पार्षद फतमा खान के बेटे तौसिफ इमाम उर्फ मो रिजवी, स्व सरफराज अहमद के बेटे मो इरशाद अहमद और बेगूसराय जिले के साहेबपुरकमाल थाना क्षेत्र के सबदलपुर निवासी स्व मोहन प्रसाद के बेटे सत्यम कुमार को गिरफ्तार किया गया था. तत्कालीन एसपी गौरव मंगला ने बताया था कि प्राप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने मो इमरान के रिश्तेदार इरशाद अहमद, इमरान द्वारा छिपाये गये एके-47 को बेगूसराय और खगड़िया के अपराधियों और नक्सलियों को बेचने जा रहा है. वह ट्रेन से लेकर जानेवाला है.
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एसपी ने इसी सूचना के आधार पर एएसपी हरिशंकर कुमार के नेतृत्व में एक छापेमारी दल का गठन किया था. छापेमारी दल जैसे ही पूरबसराय रेलवे स्टेशन के पास पहुंचा, सभी आरोपी भागने लगे. पुलिस ने तीन आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया. जबकि, दो आरोपी भागने में सफल रहे थे. एके-47 बरामद की मामले को लेकर आर्म्स एक्ट और 39 यूएपी एक्ट के तहत कोतवाली थाना कांड संख्या 555/18 दर्ज किया गया है. इसमें कई लोगों को नामजद किया गया था. कुछ को अप्राथमिकी अभियुक्त भी बनाया गया था.
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पुलिस ने उक्त छापेमारी के दौरान तस्करों के पास से एक एके-47, चार एके-47 के मैगजीन, एक मास्केट, चार जिंदा कारतूस, तीन मोबाइल, एक पिस्टल के साथ ही 50 हजार रुपये नकद बरामद किये थे. इसके बाद अगस्त से दिसंबर 2018 के बीच पुलिस ने कुल 22 एके-47 हथियार जब्त किये थे. ये हथियारों की बरामदगी जमीन के अंदर से, गंगा के पानी से, कुएं से हुई थी. ये हथियार मो इमरान और शमशेर के पास जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरी से एके-47 पहुंचता था.