गोपालगंजल : कोरोना वायरस से मौत के खौफ पर पेट की आग भारी पड़ रही है. पंजाब के अमृतसर से पैदल पांच दिनों में दिन-रात चलकर दो युवक शनिवार को बिहार के गोपालगंज पहुंचे. उनको जैसे रोका गया कि वे हाथ जोड़ कर रोने लगे. सारण जिले के मशरख के रहने वाले रामानंद साह तथा मेजाज अहमद पंजाब के अमृतसर के सौन्दर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनी में कार्यरत थे.
गौरतलब है कि पिछले रविवार को जब जनता कर्फ्यू लगा तो मालिक ने कंपनी बंद कर दिया और उनके घर लौटने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया. एक ट्रक से सवार होकर पांच-पांच सौ रुपये देने के बाद किसी तरह बदरपुर आये. वहां से पैदल चल पड़े. दिल्ली पार करने के बाद यूपी पहुंचे तो उनकों लोगों ने खाने को पूछा. यूपी के कुशीनगर तक लोगों ने भोजन करा दिया. साहब अब कभी पंजाब या दिल्ली नहीं जायेंगे. जान बची तो घर पर ही मजदूरी कर अपने बाल- बच्चों के साथ रहेंगे. दोनों का पैर फुल चुका था. अगला कदम नहीं पड़ रहा था. बंजारी में सेंट्रल बैंक की ओर से उनको खाना खिलाया गया. उसके बाद वे घर के लिए एक उम्मीद लिये चल पड़े.
लॉकडाउन में कई परिवारों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें पुलिस की मदद से फौरी राहत पहुंचायी जा रही है. इसी दौरान चार मजदुर युवक पैदल ही हाईवे पर आते हुए मिले जिनसे पूछताछ में पता चला की ये लोग रक्सौल के रहने वाले हैं और राजस्थान के फैक्टरियों में काम करते थे. लॉकडाउन के बाद ये लोग वहां से पैदल ही बिहार के लिए चल पड़े. फुलवारीशरीफ पहुँचने पर पुलिस ने खाना पानी और मास्क दिया तो इनके चेहरे खिल गये. कई दिनों से भूखे प्यासे चार मजदूरों ने पुलिस की इस नेक कार्य की सराहना करते हुए कहा की हम भी बिहारी है लेकिन अपने बिहार की सीमा में आने के बाद भी लोग कहीं बैठने खाने के लिए नही पूछ रहे थे.