India’s First Wetland City:भारत का पहला वेटलैंड शहर बनने की दौड़ में ये शहर शामिल,झीलों का शहर नाम से है मशहूर
India’s First Wetland City: टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान सरकार उदयपुर के लिए भारत के पहले वेटलैंड शहर की मान्यता प्राप्त करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है.
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उदयपुर भारत के पहले वेटलैंड शहर का प्रतिष्ठित खिताब हासिल करने की दौड़ में है
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राजस्थान सरकार उदयपुर के लिए यह मान्यता प्राप्त करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है
India’s First Wetland City: उदयपुर, ‘झीलों का शहर’ जो अपने मनमोहक परिवेश, झीलों, किलों, महलों और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, भारत के पहले वेटलैंड शहर का प्रतिष्ठित खिताब हासिल करने की दौड़ में है. यह शहर अपनी कई सुरम्य झीलों के लिए जाना जाता है, जिनमें पिछोला झील, फतेह सागर झील, दूध तलाई झील, रंग सागर झील और स्वरूप सागर झील शामिल हैं, जो एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में कार्य करता है.
निर्धारित मानदंडों के आधार पर उदयपुर को चुना है
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान सरकार उदयपुर के लिए यह मान्यता प्राप्त करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है. पर्यावरण एवं वन विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय महत्व के लिए रामसर कन्वेंशन द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर उदयपुर को चुना है. इसके अतिरिक्त, उदयपुर केंद्र सरकार की राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में भागीदार है, एक कार्यक्रम जिसका उद्देश्य इन महत्वपूर्ण जल निकायों को बहाल करना है. वर्तमान में, शहर का नामांकन अनुमोदन के लिए रामसर कन्वेंशन में प्रस्तुत किए जाने की प्रक्रिया में है.
दुनिया भर में 42 आर्द्रभूमि शहर हैं
वर्तमान में, दुनिया भर में 42 आर्द्रभूमि शहर हैं. भारत में, उदयपुर और भोपाल दोनों ही भारत के पहले आर्द्रभूमि शहर के रूप में पहचाने जाने की उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.
इस प्रतिष्ठित पदनाम को प्राप्त करने के लिए कई मानदंडों और महत्वपूर्ण कारकों को पूरा करना होगा, और उदयपुर में सभी आवश्यक विशेषताएं मौजूद हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त आर्द्रभूमियाँ अपने विशिष्ट जैव-भौगोलिक क्षेत्र के भीतर अद्वितीय या असामान्य होनी चाहिए. इसके अलावा, उन्हें लुप्तप्राय और कमजोर प्रजातियों के लिए सहायता प्रदान करनी चाहिए.
मंजूरी का है इंतजार
फिलहाल प्रस्ताव को केंद्रीय स्तर पर मंजूरी का इंतजार है. उदयपुर को वेटलैंड सिटी घोषित करने पर चर्चा के लिए सोमवार को हुई जिला पर्यावरण समिति की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई. समिति के अध्यक्ष एवं जिला कलक्टर अरविन्द कुमार पोसवाल के नेतृत्व में समिति ने हरी झंडी दे दी। उदयपुर के उप वन संरक्षक अजय चित्तौड़ा ने प्रस्ताव के बारे में विवरण प्रस्तुत किया। पर्यावरण सलाहकार शार्दुल कोठारी ने बताया कि तकनीकी अध्ययन और आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए प्रस्ताव को केंद्र सरकार के रामसर सचिवालय को भेजा जाएगा।
झीलों की नगरी के रूप में विश्व प्रसिद्ध उदयपुर
राजस्थान का उदयपुर शहर झीलों की नगरी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है. यहां पिछोला, फतेह सागर, उदय सागर और रंग सागर नामक चार झीलें हैं. खास बात है कि चारों झीलें एक नहर से आपस में जुड़ी हैं. सामने एक ओर ऊंचे पहाड़ पर मानसून पैलेस है, तो दूसरी ओर नीमच माता का मंदिर. पानी से लबालब झीलें गर्मियों में भी ठंडक का एहसास कराती हैं. पहाड़ों से झीलों का नजारा ऐसा दिखता है, जैसे जन्नत के किसी कोने से कुछ देखा जा रहा हो. सड़कों पर यातायात और भीड़भाड़ नगण्य है, इसलिए अधिक गर्मी महसूस नहीं होती.
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चित्तौड़गढ़ के अस्त के बाद उदयपुर का शहर बना
उल्लेखनीय है कि मेवाड़ के सिसोदिया राजपूतों ने 1567 में चित्तौड़गढ़ के अस्त होने के बाद उदयपुर जैसा खूबसूरत शहर बसाया था. राणा उदय सिंह ने 16वीं सदी में उदयपुर की खोज की थी. इस शहर को सूर्योदय का शहर कहा जाता है. पहाड़ों से घिरा हुआ यह शहर एक पर्वत शृंखला पर स्थित है, जिसके शीर्ष पर महाराणा का महल है, जो वर्ष 1570 में बनना आरंभ हुआ था. उदयपुर के पश्चिम में पिछोला झील है, जिस पर दो छोटे द्वीप और संगमरमर से बने महल भी हैं. यह नगर समुद्र तल से लगभग दो हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और जंगलों से घिरा हुआ है. हरे-भरे पेड़ों से आच्छादित इस नगर की साफ-सुथरी और चौड़ी सड़कों पर घूमने का अपना ही आनंद है.
उदयपुर के बारे में रोचक तथ्य
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उदयपुर में खूबसूरत झील होने के कारण इस शहर को पूर्व का विंस सिटी भी कहा जाता है.
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उदयपुर शहर की स्थापना 1558 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह द्वितीय के द्वारा की गई थी, इसी के कारण इसका नाम भी उदयपुर पड़ा.
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उदयपुर के पास स्थित कुंभलगढ़ किले को विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है. पहली ऊंची दीवार चाइना मे स्थित चीन का दीवार है. यह दीवार 36 किलोमीटर तक फैली है. माना जाता है किले को दुश्मनों के आक्रमण से बचाने के लिए इस दीवार को बनाया गया था.
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उदयपुर में एक पुराने आम के पेड़ पर ट्री हाउस बनाया गया है, जिसे केपी सिंह नाम के एक व्यवसाई के द्वारा बनवाया गया था. इस ट्रीहाउस को सूरत के एक छोटे कारीगर ने बनाया था.
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उदयपुर में डागी, राजपूत, मीणा, भील और ब्राह्मण जैसी कई सारी जातियां निवास करती है.