Exclusive: बोले उदित नारायण- लक्ष्मीकांत जी ने कहा था वापस घर चले जाओ..तुम्हारा कुछ नहीं होगा
udit narayan talks about his struggling days, sushant singh rajput : सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सिंगर सोनू निगम ने कुछ दिनों पहले म्यूजिक इंडस्ट्री से भी सुसाइड की खबर आने की बात कहकर सबको चौंका दिया था. उन्होंने कहा कि सलमान खान जैसे बड़े एक्टर्स तय करते हैं कि फलां सिंगर को गवाना हैं या नहीं. म्यूजिक इंडस्ट्री बहुत बड़ा माफिया है.
Udit Narayan on Sushant Singh Rajput: सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सिंगर सोनू निगम ने कुछ दिनों पहले म्यूजिक इंडस्ट्री से भी सुसाइड की खबर आने की बात कहकर सबको चौंका दिया था. उन्होंने कहा कि सलमान खान जैसे बड़े एक्टर्स तय करते हैं कि फलां सिंगर को गवाना हैं या नहीं. म्यूजिक इंडस्ट्री बहुत बड़ा माफिया है. इन सब मुद्दों पर पद्म भूषण से सम्मानित सिंगर उदित नारायण ने उर्मिला कोरी से बातचीत की और अपनी जर्नी के अनुभवों को साझा किया.
म्यूजिक इंडस्ट्री पर सोनू निगम के आरोपों पर आपका क्या कहना है ?
किसी के साथ क्या हुआ है ये मैं कैसे बता सकता हूं.मैं अपनी बात कर सकता हूं. मुझे म्यूजिक इंडस्ट्री ने हमेशा सपोर्ट किया है.हां स्ट्रगल रहा है.कोई भी आदमी एक रात में तो स्टार नहीं हो जाता है.हर चीज़ का प्रोसेस होता है. सफलता का भी प्रोसेस होता है.ज़िंदगी आसान तो है नहीं.बाधा तो आएगी ही.कल्याण जी आनंद जी के यहां जब मैं शुरुआती संघर्ष के दिनों में जाता था तो वो भी मुझे यही कहते थे कि सफलता के लिए खुद को तपाना पड़ेगा.मैं डिप्लोमेट जवाब नहीं दे रहा हूं.जिस आदमी का बाप किसान था. जिसका इंडस्ट्री में कोई गॉड फादर नहीं कोई कनेक्शन नहीं है.उसने यहां अपना एक मुकाम बनाया है तो मैं इंडस्ट्री को बुरा कैसे करार दे दूं.
ऐसी बातें भी सामने आ रही कि आज के सिंगर्स की राहें बहुत कठिन हैं क्योंकि कुछ लोग पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री को कंट्रोल कर रहे हैं ?
मैं तो कहूंगा कि आज से सिंगर्स बहुत तकदीरवाले हैं.हज़ारों प्लेटफॉर्म्स हैं।अपनी आवाज़ सुनाने के लिए वो किसी के मोहताज नहीं है.सोशल मीडिया के ज़रिए आप सीधे श्रोताओं से जुड़ सकते हैं.देश ही नहीं विदेश तक.हमारे वक़्त में ऐसा नहीं था. मुम्बई मैं 1978 में ही आ गया था कयामत से कयामत से कयामत तक 1988 में मिली.मैंने दस साल का लंबा संघर्ष झेला. रिकॉर्डिंग स्टूडियो और म्यूजिक डायरेक्टर्स के घर के बाहर दिन ही नहीं रात रात भर तक भी खड़ा रहा हूं.
महबूब स्टूडियो, फ़िल्म सेन्टर,फेमस,दादर में बॉम्बे लैब हुआ करता था. राजेश रोशन जी का आफिस सांताक्रुज में था.लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी बंगला था जुहू में था.हर दिन घंटों के घंटों ये सब जगह खड़े रहता था.बारिश में कई बार ट्रेन बंद हो जाती तो बोरीवली कैसे जाऊं तो वहीं स्टूडियो के बाहर ही खड़ा रहता था कि कहीं और बैठने से अच्छा था क्योंकि यहां किसी की नज़र मुझ पर पड़ सकती है और मुझे सुनने के लिए बुला ही ले. मेहनत रंग लायी.लोग नोटिस करने लगे. पूछते थे कहाँ से आए हो. संगीत की क्या तालीम है. आते रहना देखेंगे क्या होता है.
क्या सलमान खान ने आपको किसी गाने में रिप्लेस किया ?
मुझे तो नहीं मालूम है. 90 के दौर की बात छोड़िए 2003 में सलमान की फ़िल्म तेरे नाम और उसके बाद पार्टनर में मैंने गाना गाया.उन्होंने नहीं बोला कि मुझे इसकी आवाज़ नहीं चाहिए. सलमान से हमेशा दोस्ताना रवैया रहा है. मुझे याद है एक बार हम विदेश किसी टूर पर गए थे.मैं वहां शॉपिंग के लिए एक मॉल में गया था.सलमान खान वहां संगीता बिजलानी के साथ शॉपिंग पर आए थे.उस वक़्त उनकी वह खास दोस्त थी. सलमान ने बिना मुझे बताए मेरी शॉपिंग के 100 डॉलर्स दे दिए थे.सलमान का ऐसा नेचर है.
शुरुआत में कौन लोग थे जिन्होंने आपको मौके दिये थे ?
सबसे पहले राजेश रोशन का नाम लूंगा उन्होंने मुझे पहला ब्रेक दिया था.फ़िल्म का नाम 19-20 था. मोहम्मद रफी और उषा मंगेशकर के साथ गवाया था मुझे. ये जो आनेवाली 5 जुलाई है.उसमें इंडस्ट्री में मैं चालीस साल पूरे करने वाला हूं. इसी गाने की वजह से.इस गाने के बाद मुझे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,कल्याण जी आनंद जी,पंचम जी ने एक दो लाइनें कोरस में ही सही गवानी शुरू कर दी.मुझे पहचान फ़िल्म कयामत से कयामत तक से मिली थी.वहां से उदित नारायण ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा लेकिन उस मौके को मिलने में 10 साल गए.22 साल का था जब मुम्बई आया था.
कोई ऐसी घटना जिसे आप आज भी नहीं भूलते ?
(हंसते हुए) लक्ष्मीकांत जी मुझे बहुत प्यार करते थे.8 से 9 साल गुजर गए थे स्ट्रगल करते करते. उनके यहां मैं अक्सर जाता रहता था.एक दिन उन्होंने मुझे कहा कि हमारे साथ मोहम्मद रफी,किशोर कुमार,मुकेश हैं.शब्बीर कुमार,मोहम्मद अज़ीज़ भी आ गए हैं.शैलेन्द्र सिंह ,नितिन मुकेश,सुरेश वाडेकर ,अनवर भी हैं.तू अच्छा लड़का है. ठीक ठाक गा भी लेता है लेकिन तुझे प्लेबैक सिंगिंग मिलना मुश्किल है.चला जा अपने गांव.इंडस्ट्री में तेरा कुछ होना मुश्किल है. मैंने उनका आशीर्वाद लिया और कहा कि आप मुझे पहचानते हैं.वही बहुत है. साल में अगर आप कोरस में भी मुझे गाने के थोड़े बहुत मौके दे देंगे तो मेरा गुज़ारा हो जाएगा.
संघर्ष के दौरान आर्थिक तंगी ने क्या कभी आपको नहीं तोड़ा ?
पैदाइश से ही पैसों की तंगी देखी थी तो मुम्बई में पैसों की तंगी मुझे क्या तोड़ती.कई बार हेडमास्टर स्कूल से भगा देते कि इतने महीने की फीस बाकी है.कल से स्कूल मत आना.मुम्बई में एक कमरे के फ्लैट में 9 लोगों के साथ रहता था.सिर्फ खाने का पैसा किसी तरह जुगाड़ पाता था. चाय नाश्ता दोस्त पिला खिला दिए तो ठीक वरना ऐसे ही रह जाता था.
Posted By: Budhmani Minj