तृणमूल में बगावत के बाद प्रशांत किशोर को ममता बनर्जी का अल्टीमेटम, कहा, समस्या दूर करें, नहीं तो लूंगी अंतिम फैसला

तृणमूल (All India Trinamool Congress) में बढ़ती बगावत से सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पार्टी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) से बेहद नाराज बतायी जा रही हैं. खबर है कि उन्होंने चेतावनी दी है कि स्थित को संभालें, नहीं तो वह अंतिम फैसला लेने को बाध्य होंगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2020 8:11 PM

कोलकाता (नवीन कुमार राय) : तृणमूल कांग्रेस के नेता लगातार पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं. तृणमूल छोड़ने वालों को पार्टी रोक नहीं पा रही है. पार्टी के अंदर लगातार बगावत के स्वर बुलंद हो रहे हैं. फलस्वरूप मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी पार्टी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से बेहद नाराज बतायी जा रही हैं. खबर है कि उन्होंने चेतावनी दी है कि स्थित को संभालें, नहीं तो वह अंतिम फैसला लेने को बाध्य होंगी.

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ममता बनर्जी ने पीके को अल्टीमेटम दे दिया है. अगर वह स्थित पर नियंत्रण पाने में विफल रहे, तो ममता खुद अंतिम फैसला लेंगी. शुभेंदु अधिकारी समेत बड़ी संख्या में नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद तृणमूल कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल में जुट गयी है. पार्टी में आयी दरार को पाटने के लिए खुद ममता बनर्जी को मैदान में उतरना पड़ा रहा है.

तृणमूल से बगावत करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा नाराजगी पीके और उनकी कंपनी आई पैक की वजह से ही है. नाराज नेताओं का कहना है कि ये लोग पार्टी को जनता के हिसाब से नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट अंदाज में चलाना चाहते हैं. यह पश्चिम बंगाल की राजनीतिक रुचि के अनुरूप नहीं है. लिहाजा, उनकी कार्यशैली से लोग नाराज होकर पार्टी छोड़ रहे हैं.

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नेताओं और कार्यकर्ताओं की बढ़ती नाराजगी को भांपते हुए इस बाबत पिछले दिनों कालीघाट में पार्टी की हुई कोर कमेटी की बैठक में ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर से जवाब-तलब भी किया. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में ममता बनर्जी ने पीके से इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए उनको इन समस्याओं का तुरंत निदान करने का निर्देश दिया है.

ज्ञात हो कि कांग्रेस नेता के रूप में ममता बनर्जी ने माकपा और वाममोर्चा के खिलाफ लड़ने के लिए अपने तेवर तल्ख किये थे. खुद की पार्टी तृणमूल कांग्रेस बनायी थी. उन्होंने अपने दम पर माकपा की 34 साल पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका था. सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी के पास वक्त की कमी हो गयी. वह पार्टी व सरकार दोनों को उचित समय नहीं दे पा रहीं थीं.

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400 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट

जब तक पार्टी में मुकुल रॉय थे, वह संगठन का काम बखूबी संभाल रहे थे. तृणमूल कांग्रेस से उनकी दूरी बढ़ने के कारण वह भाजपा में चले गये. उनका विवाद ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक से भी था. कहा जा रहा है कि अभिषेक बनर्जी की सलाह पर ही तृणमूल कांग्रेस ने 400 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट पर आई पैक के साथ करार किया. सूत्र बताते हैं कि टीम पीके ने पार्टी को कॉर्पोरेट स्टाइल में चलाना शुरू कर दिया. आवेग और भावना की राजनीति करने वाले तृणमूल के नेताओं को उनकी स्टाइल रास नहीं आयी.

तृणमूल में बगावत

नतीजा यह हुआ कि मुकुल रॉय, शुभेंदु अधिकारी और शंखूदेव पांडा जैसे नेता को पार्टी में उचित सम्मान नहीं मिला. अभिषेक बनर्जी को पार्टी में तरजीह मिलने लगी और समर्पित कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे. इन लोगों की शिकायत है कि इनके प्रचार के तरीकों को तरजीह देने की बजाय टीम पीके अपना एजेंडा थोपने लगा है. उनसे नाराज लोग वक्त का इंतजार कर रहे थे.

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जैसे ही भाजपा में शामिल होने का विकल्प इन्हें मिला, इन्होंने डूबती नाव से छलांग लगा दी और कमल फूल का दामन थाम लिया. विद्रोही जनप्रतिनिधियों और नेताओं के घरों में जाकर समझाने में पीके और उनकी टीम पूरी तरह से विफल रही. कोर कमेटी की बैठक में ममता के साथ पीके से सीधा संवाद भी हुआ. पार्टी में मची टूट को लेकर ममता ने प्रशांत किशोर को कठघरे में खड़ा किया.

ममता बनर्जी से हुआ पीके का सीधा संवाद

सूत्रों की मानें, तो ममता ने पीके से सीधे पूछा कि अभी जो स्थिति बनी है, उसके कारण क्या हैं? मूल समस्या क्या है? स्थिति को देखकर आपको क्या लग रहा है? आने वाले दिनों में पार्टी किस स्थित में पहुंचेगी? अपने बचाव में प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टी छोड़कर जाने वाले विभिन्न नेताओं की कई कमजोरियां थीं. इसका फायदा भाजपा ने उठाया. उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसियों के मार्फत डराया. लोग खुद को बचाने के लिए भाजपा में जा रहे हैं.

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पीके ने यह भी कहा कि कई लोगों को तरह-तरह के प्रलोभन दिये जा रहे हैं. इतना ही नहीं, कई इलाकों में जमीनी स्तर पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है. पार्टी में कई लोग ऐसे हैं, जिनको लगता है कि इस बार तृणमूल कांग्रेस की कसौटी पर वह लोग खरे नहीं उतर रहे हैं और पार्टी उनको टिकट नहीं देगी. इसलिए खेमा बदल रहे हैं. प्रशांत की बात सुनकर ममता ने कहा कि जो हुआ, ठीक नहीं हुआ. आप देखिये कि लोगों की नाराजगी कैसे दूर होगी. अगर आप सब ठीक नहीं कर पाये, तो अंतिम फैसला लेना होगा.

Posted By : Mithilesh Jha

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