Umesh Pal murder case: माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और अतीक के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की पत्नी जैनब का यूपीएसटीएफ की टीमों को अभी तक कोई सुराग नहीं लग सका है. शाइस्ता परवीन की लोकेशन को लेकर सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं. इस बीच शाइस्ता परवीन समेत छह लोगों के खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना करने का मुकदमा दर्ज किया गया है.
इस मामले में प्रयागराज कोर्ट के आदेश पर धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. धूमनगंज थाने में दर्ज कराई गई इस एफआईआर में शाइस्ता परवीन के साथ ही जैनब, अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी के साथ ही गुड्डू मुस्लिम, साबिर और अरमान को नामजद किया गया है.
बताया जा रहा है कि 26 जुलाई को कोर्ट से आदेश जारी हुआ था. 82 का नोटिस जारी होने के बावजूद यह आरोपी कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए थे। कोर्ट ने इसे अवमानना का केस माना है. इसके बाद सभी छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया.
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प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही माफिया अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अशरफ की पत्नी जैनब, अतीक की बहन आयशा नूरी, शूटर अरमान, साबिर और बमबाज गुड्डू मुस्लिम फरार चल रहे हैं. प्रयागराज पुलिस सहित यूपी एसटीएफ की टीमें काफी मशक्कत के बाद भी इनका सुराग नहीं लगा पाई हैं. दूसरे राज्यों से इनपुट साझा करने के बाद भी कामयाबी कोसो दूर है. ऐसे में ये लोग कोर्ट में भी पेश नहीं हुए हैं.
शाइस्ता परवीन और जैनब के अतीक अहमद, अशरफ और असद को सुपुर्द ए खाक करते समय जनाजे में शामिल होने की भी अटकलें लगाई जा रही थी. इसके लिए पुलिस की टीमों ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए. पहचान दिखाने वालों को ही क्रबिस्तान में दाखिल होने की अनुमति दी गई, लेकिन दोनों महिलाओं को यहां भी नहीं देखा गया और पुलिस की नाकेबंदी किसी काम नहीं आ सकी.
इसके बाद अलग अलग स्थानों पर शाइस्ता परवीन और जैनब सहित अन्य लोगों की लोकेशन मिलने के इनपुट पर दबिश भी दी गई, लेकिन पुलिस अभी तक खाली हाथ है. वहीं उमेश पाल हत्याकांड में फरार बमबाज गुड्डू मुस्लिम, शूटर साबिर, अरमान सहित अतीक की बहन आयशा नूरी की गिरफ्तारी के लिए उनके घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा किया गया है. हालांकि इसके बाद भी इनमें से कोई हाजिर नहीं हुआ है और इनके खिलाफ मुकदमे की संख्या और बढ़ गई है.
इस बीच प्रयागराज पुलिस ने माफिया अतीक-अशरफ हत्याकांड में हत्यारोपितों के गांव पहुंचकर बैंक खातों को खंगाला है. इसके साथ ही उनके स्कूल समेत अन्य स्थानों से जानकारी ली गई है. शूटर सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य का असली आधार कार्ड जहां-जहां से बना था, उसके बारे में भी छानबीन की गई है. तफ्तीश में पता चला है कि पिछले छह माह में हत्यारोपित या उनके परिवार के किसी सदस्य के बैंक खाते में बड़ी रकम का लेनदेन नहीं हुआ है.
अतीक और अशरफ हत्याकांड की विवेचना पुलिस के विशेष जांच दल की ओर से की जा रही है. हत्याकांड के मुकदमे में तीनों आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया गया है, लेकिन विवेचना अभी जारी है. बताया जा रहा है कि क्राइम ब्रांच की एक टीम हमीरपुर निवासी सनी सिंह, बांदा के रहने वाले लवलेश तिवारी और कासगंज के अरुण मौर्य के घर पहुंची. परिजनों से पूछताछ करते हुए उनके बैंक खाते के बारे में जानकारी ली.
बैंक जाकर यह पता लगाया गया कि उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर की हत्या के बाद आरोपित व उनके परिवार के सदस्यों के खाते से कितने का लेनदेन हुआ है. इसके बाद पुलिस टीम तीनों के स्कूल पहुंची, जहां से उन्होंने पढ़ाई की थी. स्कूल प्रबंधन से जानकारी लेने के बाद असली आधार कार्ड बनाने वाले के बारे में भी पूछताछ की गई. दो दिन तक तफ्तीश के बाद क्राइम ब्रांच की टीम वापस लौट आई है.
प्रयागराज में काल्विन अस्पताल में 15 अप्रैल की रात अतीक व अशरफ की गोली मारकर हत्या की गई थी. तीनों आरोपित इस वक्त प्रतापगढ़ जेल में बंद हैं. मामले की सुनवाई के दौरान हत्यारोपी सनी ने कोर्ट से अपना अधिवक्ता नियुक्त करने के लिए समय मांगा है. हत्यारोपित लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य की ओर से अधिवक्ता गौरव सिंह नियुक्त किए जा चुके हैं.
लवलेश और अरुण मौर्य की ओर से नियुक्त अधिवक्ता गौरव सिंह ने अदालत को बताया कि अभी तक सनी के परिजनों ने उनसे संपर्क नहीं किया है. यदि करते हैं तो वह सनी का भी मुकदमा लड़ने के लिए तैयार है. आरोपितों के खिलाफ एसआईटी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 13 जुलाई को आरोप पत्र दाखिल किया था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार गौतम ने आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद मुकदमे को परीक्षण के लिए सत्र न्यायालय को सुपुर्द करने का आदेश दिया था.
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गुलाब चंद्र अग्रहरि ने बताया कि हत्यारोपी अरुण, लवलेश और सनी सिंह के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302, 307, 302, 120 बी, 419, 420, 467, 468 आर्म्स एक्ट 377 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया है. इन्हीं धाराओं में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होना है.