प्रयागराज: उमेश पाल हत्याकांड में मुख्य भूमिका निभाने वाला विजय चौधरी उर्फ उस्मान माफिया अतीक अहमद गैंग का शार्प शूटर था. उसका निशाना सबसे अच्छा था, इसीलिये उसे ही उमेश पाल सबसे पहले गोली चलाने की जिम्मेदारी मिली थी. विजय उर्फ उस्मान को अपने निशाने पर बहुत भरोसा था. इसी वजह से अतीक के गैंग में उसका कद लगातार बढ़ता जा रहा था.
माफिया अतीक अहमद के गैंग में गुलाम ने विजय चौधरी की एंट्री करायी थी. उसने ही विजय को असलहा चलाना सिखाया. जब विजय उर्फ उस्मान असलहा चलाने में एक्सपर्ट हो गया और उसका निशाना भी अचूक हो गया, तब उसकी जानकारी अतीक और असद को दी गयी. गुलाम ने ही विजय चौधरी की कई बार असद से मुलाकात करायी.
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बताया जा रहा है कि अतीक के बेटे असद ने विजय चौधरी को उमेश पाल की हत्या करने पर 10 लाख रुपये और एक गाड़ी देने का वादा किया था. इस पर ही विजय चौधरी ने अकेले ही उमेश पाल को मारने की जिम्मेदारी ले ली थी. जब विजय चौधरी की भूमिका हत्याकांड में तय हो गयी, तब उसे अतीक अहमद से साबरमती जेल में मिलाया गया.
सूत्रों की मानें तो विजय चौधरी उर्फ उस्मान ने माफिया अतीक अहमद से साबरमती जेल में मुलाकात के दौरान फिर से दावा किया था कि वह उमेश को अकेले ही मार देगा. इसके बाद ही उसकी भूमिका पर अंतिम मुहर लगी. उसे एक फोन, पिस्टल और 50 हजार रुपये भी दिये गये थे.
सूत्र बताते हैं कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के मुस्लिम हॉस्टल में हत्याकांड की तैयारी को अंतिम रूप दिया गया. विजय चौधरी उर्फ उस्मान की फायरिंग के बाद बैकअप के लिये गुलाम, गुड्डू मुस्लिम व अन्य लोगों को पहले से स्पॉट किया गया. जिससे कि विजय यदि चूक जाये तो अन्य लोग पूरे हत्याकांड को अंजाम दे सकें.
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हुआ भी ऐसा ही, जब विजय चौधरी ने पहली गोली उमेश पाल को मारी तो वह गिरने के बाद उठकर अपने घर की गली में भागा था. इसी के बाद गुलाम व अन्य शूटर ने फायरिंग शुरू की. बमबाजी करके दहशत फैलायी गयी और उमेश पाल की हत्याकर दी गयी.
गौरतलब है कि विजय चौधरी उर्फ उस्मान का एनकाउंटर प्रयागराज के कौंधियारा के गोंठी गांव में हुआ था. वह एक सीमेंट फैक्ट्री में गाड़ी चलाता था. वह माफिया अतीक अहमद गैंग का शूटर था, इसकी जानकारी उसकी पत्नी और परिवार को नहीं थी.