इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस के डायरेक्टर व प्रोफेसर ऑफ फाइनेंस, डॉ अमन अग्रवाल ने बजट को विकासोन्मुखी बताया. उन्होंने कहा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट सोचा-समझा और संतुलित है. इसमें विकास से कोई समझौता नहीं किया गया है. आम लोगों को साथ लेते हुए भारत की प्रगति को दिशा देने की पूरी चेष्टा की गयी है. वित्त मंत्री ने युवा, वरिष्ठ नागरिक, निर्धन और मध्यम वर्ग सभी का ध्यान रखने के साथ दीर्घावधि विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया है. डिजिटल इंडिया, शिक्षा, स्वास्थ्य को भी प्रमुखता दी गयी है. कोविड के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में जो दिक्कतें आयी थीं, उनको भी दूर करने का प्रावधान किया गया है. मेरे विचार से यह बजट विकासोन्मुखी है. भारत सरकार के विकास का जो प्रोग्राम रहा है, उन्हीं को आगे बढ़ाते हुए यह बजट तैयार किया गया है. कृषि क्षेत्र के लिए भी बजट में कई प्रावधान हैं. असल में यह बजट सबका साथ, सबका विकास को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.
आयकर में वित्त मंत्री ने निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग का ध्यान रखा
आयकर की बात करें, तो इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग का भी ध्यान रखा है. आयकर की सीमा को पांच लाख से बढ़ाकर सात लाख तक किया गया है. ऐसा करने का उद्देश्य है कि लोग पैसे को केवल बैंकों में न रखें बल्कि उसका उपभोग भी करें. अपनी जरूरतों पर खर्च करें, चाहे वह अपने बच्चों की शिक्षा पर हो, घर बनाने के लिए हो, स्वास्थ्य के मद में हो या अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए हो. जाहिर सी बात है कि जब लोग पैसा खर्च करेंगे, तो अर्थव्यवस्था को गति तो मिलेगी ही. सरकार ने टैक्स स्लैब को भी बढ़ाकर छह कर दिया है, ताकि मध्यम वर्ग की जो अलग-अलग श्रेणी है, वे भी अपनी आय पर बचत कर सकें.
बजट से आम आदमी को राहत
ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, साइकिल, खिलौने, लीथियम बैटरी पर शुल्क में कटौती कर आम आदमी को राहत देने की कोशिश की गयी है. ऑटोमोबाइल पर शुल्क में कटौती की बात करें, तो सरकार 10 से 15 साल पुराने वाहनों को सड़क से हटाना चाहती है, क्योंकि इसका उद्देश्य प्रदूषण को नियंत्रित करना है. तो जब ऑटोमोबाइल सस्ता होगा, तो लोग उसे खरीदेंगे ही. वहीं मोबाइल समेत दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सस्ते होने से डिजिटल लाइब्रेरी, डिजिटल यूनिवर्सिटी, डिजिटल बैंकिंग सिस्टम का लाभ गरीब आदमी भी उठा सकेगा. कौशल विकास, शिक्षा आदि से हर एक वर्ग जुड़ सकेगा.
बजट में महिला सम्मान
बजट में महिला सम्मान बचत पत्र योजना शुरू करने की बात भी की गयी है, जिसमें दो लाख की बचत पर 7.5 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा. सरकार का यह कदम अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान को बढ़ावा देने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया एक सराहनीय कदम है. सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों को भी समझा है और वरिष्ठ नागरिक खाता योजना की सीमा एकल खाता के लिए साढ़े चार लाख से बढ़ाकर नौ लाख और संयुक्त खाता की सीमा नौ लाख से बढ़ाकर 15 लाख करने की घोषणा की है. इससे न केवल बुजुर्गों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनका जीवन भी सुखमय बनेगा. स्वयं सहायता समूहों, जो ज्यादातर महिलाएं चलाती हैं, उनको भी प्रोत्साहन दिया गया है. उनके लिए कर की दर को कम किया गया है.
बजट में वित्तीय समावेशन के साथ युवा, आम आदमी, शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य पर जोर
कुछ और उल्लेखनीय बातों पर चर्चा जरूरी है. हमारी बैंकिंग प्रणाली सुचारु रूप से चल रही है. जीएसटी कलेक्शन भी डेढ़ लाख करोड़ के करीब पहुंच गया है जिससे हमें वृद्धि देखने को मिल रही है. पूंजीगत व्यय भी बढ़ाया गया है, जिस वजह से पचास वर्ष के लिए राज्यों को ब्याज रहित ऋण मिल रहा है, ताकि वे अवसंरचना विकास पर ध्यान दे सकें. चारों तरफ से सकारात्मक वृद्धि हो रही है. भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और अगले दो वर्षों तक इसके तेज रहने की उम्मीद है. यह बहुत बड़ी बात है, जो दिखाती है कि भारत सरकार की नीतियां, कार्यक्रम सही दिशा में चल रहे हैं. सरकार ने बजट में वित्तीय समावेशन के साथ युवा, आम आदमी, शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं को साथ लेकर चलने की प्रतिबद्धता जतायी है, जो बताती है कि सरकार हर वर्ग को सशक्त बनाना चाहती है. सरकार चाहती है कि हर क्षेत्र, हर वर्ग आत्मनिर्भर बने, उनका जीवन स्तर ऊंचा उठे और वे खुशहाल बनें. कुल मिलाकर कहें, तो बजट की रूपरेखा बताती है कि भारत विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
(आरती श्रीवास्तव की डॉ अमन अग्रवाल से विशेष बातचीत पर आधारित आलेख)