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Budget 2023: ‘बजट में सबके लिए कुछ-कुछ हो सकता है, कुछ बड़े की उम्मीद नहीं’, पढ़ें सीए रघु कौशल की राय

केंद्रीय बजट से वेतनभोगी कर्मचारियों, व्यापारियों और उद्यमियों को टैक्स में कटौती और स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट में वृद्धि की उम्मीद है. छोटे कारोबारियों को नकदी भुगतान की पुरानी प्रणाली बहाल होने की अपेक्षा है. वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स बेनिफिट का इंतजार है, तो छात्रों को सस्ती दरों एजुकेशन लोन चाहिए.

Budget 2023 Expectation : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में बजट 2023 पेश करेंगी. इस वर्ष का आम बजट चुनाव पूर्व साल का पूर्ण बजट है. वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इसलिए, इस बजट में वित्त मंत्री की ओर से लोकलुभावनी घोषणाएं होने की अपेक्षा अधिक है. इसके साथ ही, दो दिन बाद संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट से लोगों को काफी उम्मीदें बंधी हैं. वेतनभोगी कर्मचारियों, व्यापारियों और उद्यमियों को टैक्स स्लैब कटौती और स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट में वृद्धि की उम्मीद है, तो छोटे कारोबारियों को नकदी भुगतान की पुरानी प्रणाली बहाल होने की अपेक्षा है. वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स बेनिफिट और बेहतर इंटरेस्ट रेट का इंतजार है, तो छात्रों को रियायती दरों एजुकेशन लोन की उम्मीद है. वहीं, घर बनाने वालों को रियायती दरों पर होम लोन की उम्मीद है, तो महिलाओं को रसोई की चिंता है. वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट और रांची शाखा के भूतपूर्व अध्यक्ष सीए रघु कौशल की मानें, तो इस साल के बजट में सबके लिए कुछ-कुछ तो हो सकता है, मगर इससे कुछ बड़े की उम्मीद नहीं है. आइए, जानते हैं कि बजट को लेकर सीए रघु कौशल की राय क्या है?

लोकलुभावन हो सकता है इस साल का बजट

वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट और रांची शाखा के भूतपूर्व अध्यक्ष सीए रघु कौशल कहते हैं कि चूंकि वर्ष 2023 सरकार के लिए पूर्ण बजट देने का आखिरी मौका है, क्योंकि साल 2024 के दौरान देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में, अगले साल 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट ही पेश कर पाएंगी. इसलिए आशा यह की जा सकती है कि सामान्यतया इस साल का बजट लोकलुभावन हो सकता है.

बुनियादी ढांचा और टेक पर खर्च बढ़ाने की जरूरत

वहीं, रघु कौशल का यह भी कहना है कि वास्तविक धरातल पर अगर तमाम भू-राजनीतिक परिस्थितियों का मूल्यांकन करें, तो भारत वैश्विक स्तर पर जिस तेजी के साथ अपनी आर्थिक पहचान कायम कर रहा है और सकल घरेल उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर की रफ्तार को लगातार ऊंचाइयों पर ले जा रहा है, उसके आलोक में बजट का लोकलुभावना होना संभव नहीं लगता है. इसका कारण यह है कि जीडीपी ग्रोथ को और रफ्तार प्रदान करने के लिए सरकार को बुनियादी ढांचा क्षेत्र और टेक सेक्टर पर पूंजीगत व्यय को बढ़ाने की जरूरत होगी.

टैक्स छूट की सीमा बढ़ने की उम्मीद कम

सीए रघु कौशल आगे कहते हैं कि अब अगर हम भारत के आम नागरिकों के दृष्टिकोण के आधार पर बजट से उनकी उम्मीदों को लेकर बात करें, तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक आम आदमी की मांग टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने और टैक्स रेट में कटौती करने की होगी, लेकिन फिलहाल ऐसा होने की संभावना कम ही दिखाई देती है. अलबत्ता, पूंजीगत लाभ से संबंधित कुछ घोषणाएं हो सकती है. इसके साथ ही, कुछ प्रावधानों को तर्कसंगत और त्रुटिरहित बनाने की दिशा में भी कुछ कदम उठाया जा सकता है.

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पीएलआई स्कीम का दायर बढ़ेगा

उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इस साल के बजट में कुछ रियायतें दी जा सकती हैं. इसके साथ ही, मेक इन इंडिया को देखते हुए कुछ क्षेत्रों के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई स्कीम) के दायरे में विस्तार किया जा सकता है और इस योजना के तहत जोड़े गए नए क्षेत्रों को प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की जा सकती है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस साल भी एक और साधारण बजट की अपेक्षा की जा सकती है, जिसमें सबके लिए कुछ-कुछ हो सकता है, लेकिन कुछ बड़ा होने की उम्मीद नहीं है.

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