Loading election data...

Budget 2023 : अब सबको ‘सब्सिडी’ नहीं बांटेगी सरकार, अपना खर्च बढ़ाएगी!

लोकसभा में एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में पूंजीगत व्यय समेत सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं पर होने वाले खर्च को बढ़ा सकती हैं. पूंजीगत व्यय में वृद्धि का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर अच्छा रहा है. इसको देखते हुए अगले वित्त वर्ष के बजट में भी इसमें 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि का अनुमान है.

By KumarVishwat Sen | January 31, 2023 9:48 PM

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी 2023 को लोकसभा में केंद्रीय बजट पेश करेंगी. चुनावी साल से पहले सरकार के अगले वित्त वर्ष के लिए अंतिम पूर्ण बजट में पूंजीगत व्यय बढ़ाने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि, आर्थिक विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है कि इसके बावजूद सब्सिडी में कमी और बजट का आकार बढ़ने से राजकोषीय घाटे का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के मुकाबले कम रखे जाने की संभावना है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सब्सिडी करीब 3.56 लाख करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 6.4 फीसदी रहने की संभावना जताई गई थी. कुल सब्सिडी में खाद्य सब्सिडी की हिस्सेदारी दो लाख करोड़ रुपये से अधिक है.

कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ा सकती है सरकार

देश के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, लोकसभा में एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में पूंजीगत व्यय समेत सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं पर होने वाले खर्च को बढ़ा सकती हैं. कृषि अर्थशास्त्री और लखनऊ स्थित गिरि विकास अध्ययन संस्थान (जीआईडीएस) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने कोविड संकट के दौरान गरीबों को राहत देने के लिए अप्रैल, 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की थी. इसके तहत हर महीने पांच किलो मुफ्त खाद्यान्न प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए), अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवारों को दिया जा रहा था. दिसंबर, 2022 तक जारी सभी सात चरणों में इस योजना पर सरकार का कुल व्यय करीब 3.91 लाख करोड़ रुपये रहा है.

गरीब कल्याण अन्न योजना को खत्म करने से बचेंगे 3.91 लाख करोड़

जीआईडीएस के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 की शुरुआत से एनएफएसए के तहत लाभार्थियों को मुफ्त राशन देने का निर्णय किया, जबकि कोविड-19 को लेकर स्थिति बेहतर होने के साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) 31 दिसंबर, 2022 से समाप्त कर दी गई. अब जबकि पीएम-जीकेएवाई योजना समाप्त हो गई है, तो इससे इस मद में खर्च होने वाली करीब 3.91 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत होगी. इससे सरकार के पास बजट में दूसरे मदों में खर्च के लिए अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी और राजकोषीय घाटा लक्ष्य कम रखे जाने का अनुमान.

राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को घटाएगी सरकार

जाने-माने अर्थशास्त्री और वर्तमान में बेंगलुरु स्थित डॉ बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने भी कहा कि सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाकर और वर्तमान मूल्य पर जीडीपी में 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि को देखते हुए अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य कम रहने की संभावना है. भानुमूर्ति ने कहा कि योजना ने संकट के समय गरीबों, जरूरतमंदों और कमजोर परिवारों अथवा लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की, लेकिन इसने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत लाभार्थियों को सामान्य रूप से वितरित किए जाने वाले मासिक खाद्यान्न की मात्रा को प्रभावी रूप से दोगुना कर दिया था.

जनवरी से मुफ्त में मिल रहा अनाज

बताते चलें कि जहां प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज दिया जा रहा था. वहीं, एनएफएसए के तहत प्रति व्यक्ति तीन रुपये किलो चावल और दो रुपये किलो गेहूं की दर से पांच किलो अनाज (प्रति परिवार अधिकतम 35 किलो) दिया जा रहा था और यह अतिरिक्त था. अब एक जनवरी, 2023 से गरीबों को राशन की दुकानों के जरिये एनएफएसए के तहत जो दो रुपये गेहूं और तीन रुपये किलो चावल मिल रहा था, अब वह मुफ्त मिलेगा. भानुमूर्ति ने कहा कि अब जब कोविड संकट को लेकर स्थिति बेहतर हुई है, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को वापस लेना सही कदम है. इससे सब्सिडी में कमी आने की उम्मीद है.

पूंजीगत व्यय में वृद्धि का प्रभाव बेहतर

एक अन्य सवाल के जवाब में प्रोफेसर भानुमूर्ति ने कहा कि पूंजीगत व्यय में वृद्धि का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर अच्छा रहा है. इसको देखते हुए अगले वित्त वर्ष के बजट में भी इसमें 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि का अनुमान है. मौजूदा वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय का अनुमान 7,50,246 करोड़ रुपये रखा गया है. वहीं, रेटिंग एजेंसी इक्रा ने हाल में एक रिपोर्ट कहा है कि अगले साल चुनाव होने हैं. ऐसे में बजट में सरकार पूंजीगत व्यय 8.5 से नौ लाख करोड़ रुपये निर्धारित कर सकती है, जो मौजूदा वित्त वर्ष में 7.5 लाख करोड़ रुपये है. वहीं, खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में कमी के जरिये राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 5.8 फीसदी रख सकती है.

Also Read: Union Budget 2023 : म्यूचुअल फंड पेंशन प्लान पर भी दिया जा सकता है टैक्स बेनिफिट, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बजट में सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बजट में खाद्य समेत विभिन्न सब्सिडी की स्थिति के बारे में अनुमान जताना कठिन है, लेकिन इतना जरूर है कि खाद्य और उर्वरक समेत सभी सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जहां तक उर्वरक सब्सिडी का सवाल है, इस दिशा में सुधार की सख्त जरूरत है. आंकड़ों के अनुसार, फास्फोरस और पोटाश की तुलना में नाइट्रोजन को भारी सब्सिडी दी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप यूरिया (एन) का अत्यधिक उपयोग होता है और फास्फोरस (पी) और पोटाश (के) का बहुत कम उपयोग होता है. एन-पी-के उपयोग का उपयुक्त अनुपात 4:2:1 है, जबकि वर्तमान में पंजाब में यह अनुपात 31.4:8:1 है.

Next Article

Exit mobile version