Budget 2023 : मिशन 2024 का ‘बूस्टर डोज’
भारत में हर महीने करीब 10 लाख से अधिक श्रमिक कार्यबल में प्रवेश करते हैं. सरकार को बजट में उच्च विकास और हर महीने कार्यबल में प्रवेश करने वाले श्रमिकों को रोजगार देने के लिए प्रावधान करने की जरूरत है. इसके साथ ही, बजट में प्राइवेट सेक्टर को मजबूत करने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाने की भी जरूरत है.
Union Budget 2023 : अनियंत्रित मुद्रास्फीति और आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी की आशंका के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में चुनावपूर्व बजट पेश करेंगी. विश्लेषकों और मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो चुनावपूर्व बजट में लोकलुभावनी घोषणा करने के लिए सरकार के पास न तो राजकोषीय संसाधन है और न ही वैश्विक अर्थव्यवस्था इसके अनुकूल है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भू-राजनैतिक हालात बिगड़े हुए हैं. सप्लाई चेन पूरी तरह से बाधित है, जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का खतरा बरकरार है. ऐसे में, एक सवाल यह पैदा होता है कि इस साल के केंद्रीय बजट में प्राइवेट सेक्टर को मजबूत करने के लिए पूंजीगत व्यय का ‘बूस्टर डोज’ देगी?
प्राइवेट सेक्टर को बूस्टर डोज की क्यों है जरूरत
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर महीने करीब 10 लाख से अधिक श्रमिक कार्यबल में प्रवेश करते हैं. इस संदर्भ में देखें, तो सरकार को बजट में उच्च विकास और हर महीने कार्यबल में प्रवेश करने वाले श्रमिकों को रोजगार देने के लिए प्रावधान करने की जरूरत है. इसके साथ ही, बजट में प्राइवेट सेक्टर को मजबूत करने के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाने की भी जरूरत है. इसका कारण यह है कि कार्यबल में प्रवेश करने वाले ज्यादातर श्रमिक रोजगार के लिए प्राइवेट सेक्टर पर ही निर्भर करते हैं. इस लिहाज से अधिक से अधिक श्रमबल को रोजगार प्रदान करने के लिए सरकार को लीक से हटकर काम करना होगा. पूंजीगत व्यय में नए उपकरणों की खरीद, कारखानों और भवन निर्माण, स्वास्थ्य देखभाल व्यय, शिक्षा परिव्यय शामिल हो सकते हैं, जो औद्योगिक विकास और बुनियादी ढांचा के लिए महत्वपूर्ण हैं और औद्योगिक उत्पादन में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं.
निवेशकों को दिया जा सकता है प्रोत्साहन का डोज
विश्लेषकों की मानें, तो वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में लाखों-करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं और जरूरतों को समान रूप से आगे बढ़ाने के साथ लंबी अवधि के निवेशकों को प्रोत्साहनों का डोज दिया जा सकता है, जिनमें वास्तविक सरकारी व्यय शामिल नहीं है. वैश्विक विश्लेषक इस तथ्य से सहमत हैं कि चुनावी वर्ष का बजट बहुप्रतीक्षित राजकोषीय समेकन में देरी कर सकता है और यह एक लाभ में बदल सकता है. गोल्डमैन सैक्स ने पिछले महीने कहा था कि केंद्र सरकार सब्सिडी में कुछ कमी के साथ चालू वर्ष में अनुमानित वित्तीय घाटे को मार्च 2024 तक 6.4 फीसदी से 5.9 फीसदी तक लाने का प्रयास कर सकती है.
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निजीकरण को दिया जा सकता है बढ़ावा
मीडिया की रिपोर्ट में माना जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर को बूस्टर डोज देने के लिए सरकार निजीकरण और निजी निवेश को बजट में बढ़ावा देने का प्रावधान कर सकती है. निजी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार देश के हवाई अड्डों के निजीकरण की मंजूरी दे सकती है. हालांकि, निजीकरण की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होगी और पहले चरण में 11 हवाई अड्डों को निजीकरण के लिए चुना गया है.
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स्वदेशी को बढ़ावा दे सकती है सरकार
इसके अलावा, केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने का भी प्रावधान कर सकती हैं. स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट में कई प्रकार की घोषणाएं कर सकती हैं. इसके साथ ही, स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात पर शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है. मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने फिलहाल 35 ऐसी वस्तुओं की एक सूची तैयार की है, जिनके आयात पर शुल्क बढ़ाया जा सकता है.