Budget 2023 : 7 लाख रुपये की इनकम टैक्स फ्री तो फिर 6 लाख पर 5 फीसदी कर कैसे? सीए साकेत मोदी से समझिए फैक्ट
नई आयकर व्यवस्था को बजट 2021-22 में पेश किया गया था. इसके तहत बिना किसी कटौती के 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगाया जाएगा. हालांकि, यदि वार्षिक आय 7 लाख रुपये से अधिक है, तो उस पर टैक्स लगेगा. आयकर स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच की गई.
रांची : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में पेश केंद्रीय बजट में इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी को करमुक्त करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही, उन्होंने इनकम टैक्स के स्लैब को भी 6 से घटाकर 5 कर दिया है. इनकम टैक्स की इन श्रेणियों में शून्य से 3 लाख रुपये तक की आमदनी पर टैक्स जीरो रखा गया है, लेकिन 3 लाख 1 हजार से 6 लाख रुपये तक के स्लैब में 5 फीसदी टैक्स निर्धारित किया गया है. अब ऐसे में लोगों के सामने सवाल यह पैदा हो रहा है कि जब सरकार ने 7 लाख रुपये तक की सालाना आय को करमुक्त रखा है, तो फिर 6 लाख की आमदनी पर 5 फीसदी टैक्स कैसे? आम लोगों के जेहन में पैदा हो रहे सवाल को दूर करने के लिए हमने चार्टर्ड एकाउंटेंट साकेत मोदी से बात की. आइए, नई कर व्यवस्था के तहत लगने वाले टैक्स के बारे में समझते हैं.
क्या है नई कर व्यवस्थानई आयकर व्यवस्था को बजट 2021-22 में पेश किया गया था. इसके तहत बिना किसी कटौती के 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगाया जाएगा. हालांकि, यदि वार्षिक आय 7 लाख रुपये से अधिक है, तो उस पर टैक्स लगेगा. आयकर स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच की गई. तीन से छह लाख रुपये पर 5 प्रतिशत और छह से नौ लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, नौ लाख रुपये से 12 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत और 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा.
नई कर व्यवस्था के तहत लगने वाले टैक्स को स्पष्ट करते हुए चार्टर्ड एकाउंटेंट साकेत मोदी कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति का सालाना इनकम 7 लाख रुपये है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. वहीं, उसकी आदमनी 7 लाख 1 हजार रुपये हो जाता है, तो वह शून्य से 3 लाख वाली श्रेणी में शामिल हो जाएगा, लेकिन उसे भी कोई टैक्स नहीं देना होगा. यानी जिसकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपये तक है, वह नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स के दायरे में आ जाएगा, लेकिन उसे टैक्स नहीं देना पड़ेगा. पहले 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री रखा गया था, जिसे बढ़कर अब 7 लाख किया गया है.
वेतनभोगियों के लिए कौन सी कर व्यवस्था फायदेमंद होगासाकेत मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं होता है कि वेतनभोगी और कोई अन्य. इसमें देखना यह पड़ता है कि आपको कितनी छूट है. इसमें देखा यह भी जाता है कि 80सी के तहत कितनी छूट है, 80सीसीडी के तहत कितनी छूट मिलती है. इसमें हमलोगों को केस टू केस स्टडी करना पड़ता है और फिर तय करना पड़ता है कि किसे कितनी छूट मिलेगी. इसके लिए कोई थंब रूल या विशेष नियम नहीं है.
पुरानी कर व्यवस्था में रहना उचित या नई व्यवस्था में जाना फायदेमंदचार्टर्ड एकाउंटेंट साकेत मोदी ने कहा कि यह तय करना पाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अगर 7 लाख रुपये तक की इनकम है, तो फिर नई कर व्यवस्था में रहना फायदेमंद है. वहीं, अगर 7 लाख रुपये से अधिक की इनकम है, तो किसी से कैलकुलेट कराने के बाद ही तय किया जा सकता है. केवल वेतन बता देने से ही नई-पुरानी व्यवस्था के फायदे के बारे में पता नहीं चलता. इसके लिए देखना यह पड़ता है कि उसे छूट कितनी मिली है. इसमें 80सी, 80सीसीडी, 80यू, 80टी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को देखना पड़ेगा. अब अगर केवल वेतन की ही बात करते हैं, तो जब किसी की सालाना इनकम 16 लाख है, तो नई कर व्यवस्था में रहना ही फायदेमंद होगा.
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