UP Election 2022: आगरा लोकसभा सीट से सांसद एसपी सिंह बघेल को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने करहल विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ा रही है. एसपी सिंह बघेल अखिलेश यादव के नामांकन के बाद करहल विधानसभा से अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे. इसके बाद राजनीतिक जगत में हलचलें तेज हो गई हैं. हालांकि बीजेपी ने अभी तक उन्हें विधानसभा से लड़ाने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. एसपी सिंह बघेल पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में भी तैनात रहे हैं.
आगरा से बीजेपी सांसद एसपी सिंह बघेल केंद्र में विधि एवं न्याय राज्यमंत्री हैं. एसपी सिंह बघेल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें केंद्र में राज्यमंत्री बनाया गया था.
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मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं. सोमवार को उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया. अखिलेश यादव के नामांकन दाखिल करने के करीब 2 से 3 घंटे बाद ही बीजेपी से आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल भी कलेक्ट्रेट पहुंचे और उन्होंने करहल विधानसभा से अपना नामांकन दाखिल किया.
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बिना किसी पूर्व सूचना के नामांकन दाखिल करने पहुंचे बीजेपी सांसद एसपी सिंह बघेल को देखकर एकाएक तमाम राजनीतिक लोग चौंक गए. ऐसे में मीडिया जगत में जहां एक तरफ उनके नामांकन करने से हलचल मच गई. वहीं राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गईं.
दरअसल, मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती है, और यही कारण है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इस बार करहल से चुनाव लड़ रहे हैं. साल 1993 के बाद से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ही यहां से चुनाव जीतते आए हैं. बीजेपी ने 2002 में इस सीट पर फतह हासिल की थी. उस समय भी वर्तमान विधायक सोबरन सिंह यादव ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद से यहां सिर्फ समाजवादी पार्टी का ही प्रत्याशी जीतता आ रहा है.
दरअसल, यादव बाहुल्य मैनपुरी जिले में सबसे अधिक यादवों की संख्या करहल में ही है, यहां कुल मतदाताओं में 40 फीसदी यादव हैं. अन्य मतदाताओं की बात करें तो एससी 17 फीसदी, शाक्य 13 फीसदी, ठाकुर 9 फीसदी, ब्राह्मण 7 फीसदी, अल्पसंख्यक 6 फीसदी और अन्य 8 फीसदी हैं. हर बार की तरह इस बार भी सपा जातीय समीकरण बैठाने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है. राजनीतिक के जानकारों की मानें तो यहां समाजवादी पार्टी जातीय समीकरण के हिसाब से अन्य पार्टियों पर भारी पड़ जाती है.
रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा