Jharkhand News: झारखंड के जामताड़ा में मिला नीले रंग का अनोखा शैवाल, जानें क्या है इसकी खासियत
डॉ आरके गुप्ता ने ‘एल्गल फ्लोरा ऑफ झारखंड’ शीर्षक से एक पुस्तक लिखी है. यह किताब झारखंड में मिलने वाली शैवालों पर आधारित है. जिनमें से एक है जामताड़ा में नीले रंग का यह शैवाल जो कि श्मशान घाट के पास स्थित कुंड में मिला है.
जामताड़ा : राजधानी के करमटोली निवासी और ‘सेंट्रल नेशनल हार्बेरियम कोलकाता’ में कार्यरत वैज्ञानिक डॉ आरके गुप्ता ने ‘एल्गल फ्लोरा ऑफ झारखंड’ शीर्षक से एक पुस्तक लिखी है. यह पुस्तक राज्य के 24 जिलों में मिलनेवाले शैवालों पर किये गये शोध पर आधारित है. इसमें एक विशिष्ट शैवाल की प्रजाति, उसके गुण और विशेषताओं का उल्लेख है, जो नग्न आंखों से नहीं दिखायी देता है. डॉ गुप्ता ने स्वयं इस शैवाल की खोज की है.
नीले रंग का यह शैवाल उन्हें जामताड़ा के श्मशान घाट के पास स्थित कुंड में मिला. उन्होंने इसे ‘जोहानिसबप्तिसिया देशिकाचारी’ नाम दिया है. यह नाम शैवाल पर अब तक सबसे ज्यादा काम करने वाले प्राध्यापक प्रो डॉ टीवी देशिकाचारी के नाम पर रखा गया है. इसके अलावा, शैवाल पर शोध के दौरान डॉ गुप्ता ने राज्य के चार गर्म जल कुंडों (दुमका, गुमला, चतरा और हजारीबाग स्थित) का अध्ययन किया.
इनमें उन्हें ‘मिस्टिगो क्लैडस लेमियोलेस’ नामक शैवाल मिला, जो गर्म पानी (90 से 95 डिग्री) में ही पनपता है. डॉ गुप्ता के अनुसार, शैवाल जलीय जंतुओं में भोजन की लहर बनाये रखने में उपयोगी हैं. शैवाल की प्रजातियां पर्यावरण में जलीय पारिस्थिकितंत्र को बनाये रखने, मिट्टी को बांधे रखने और जैव उवर्रक को बनाये रखने में मददगार हैं.
हवा महल, पदमा हजारीबाग
रामगढ़ के महाराजा राम नारायण सिंह ने 1670 में यह महल बनवाया था. यह इंडो सारसेनिक वास्तुकला का नमूना है. महल के बीचोबीच एक गुंबद है, जो चार पिलर के सहारे टिका हुआ है.
Posted By: Sameer Oraon