UP Budget Session 2023: यूपी विधानसभा में 58 साल के बाद लगा कोर्ट, ऐतिहासिक फैसले के साक्षी बने विधायक
यह पूरा मामला 2004 का है. तब उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी, मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. सपा सरकार में बिजली कटौती के विरोध में सलिल विश्नोई कानपुर में धरने पर बैठे थे. इस दौरान बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. जिससे सलिल बिश्नोई की टांग टूट गयी थी.
कानपुर: यूपी विधानसभा में 58 साल के बाद शुक्रवार 3 मार्च को अदालत लगी. ये ऐतिहासिक मौका सदन में 58 साल बाद आया है. कटघरे में 6 पुलिसकर्मियों को पेश किया गया. इन सभी पुलिसकर्मियों पर विशेषाधिकार हनन का आरोप था. इससे पहले 14 मार्च 1964 में यूपी विधानसभा में कांग्रेस के पूर्व सांसद नरसिंह नारायण पांडे ने एक सदस्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. उन्होंने विधानसभा में हाथों से पर्चे बांटे थे.
यह पूरा मामला 2004 का है. तब उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी, मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. कानपुर में प्रदर्शन के दौरान भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया गया था. सपा सरकार में बिजली कटौती के विरोध में सलिल विश्नोई कानपुर में धरने पर बैठे थे. इस दौरान बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
इसमें तत्कालीन विधानसभा सदस्य सलिल विश्नोई की टांग टूटी थी. वह कई महीनों तक बेड पर रहे. इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में रखी गई थी. इस मामले में 17 साल पहले इन पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका है. शुक्रवार को पुलिसकर्मियों की सजा का ऐलान हुआ.