UP Chunav 2022: अपने ही न बन जाएं जीत की राह में रोड़ा, भाजपा, सपा और बसपा के बागी बन रहे मुसीबत

UP Chunav 2022: एक वक्त टिकट के प्रबल दावेदार रहे वर्तमान में अपना नया ठिकाना ढूंढ़ कर अपनी ही पुरानी पार्टी के खिलाफ ही ताल ठोंक रहे है. हर पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुटी है लेकिन बात नहीं बन पा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 22, 2022 9:55 AM
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UP Chunav 2022: यूपी चुनाव धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, तीन चरण बीत गए हैं. चौथे चरण की वोटिंग 23 फरवरी को होने जा रही है. वहीं इस चुनाव टिकट वितरण और अदला बदली की वजह से तमाम नेता और कार्यकर्ता नाराज नजर आ रहे हैं. टिकट वितरण की रार होने से भीतरघात के चांस बढ़ रहे हैं. एक वक्त टिकट के प्रबल दावेदार रहे वर्तमान में अपना नया ठिकाना ढूंढ़ कर अपनी ही पुरानी पार्टी के खिलाफ ही ताल ठोंक रहे है. हर पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुटी है लेकिन बात नहीं बन पा रही है. सपा और बसपा में पार्टी से बागी हुए नेताओं की लिस्ट लंबी है जो उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं.

इसी कड़ी में मुरादाबाद से एक वर्तमान विधायक का टिकट कटा तो उसने पहले तो आगे पार्टी आलाकमान के आगे नाराजगी जताई. अब वह बसपा से मैदान में हैं. अयोध्या की रुदौली सीट पर पूर्व विधायक अब्बास अली रुश्दी मियां सपा से इस्तीफा देकर बीएसपी के टिकट पर मैदान में हैं. अनूप सिंह बागी होकर बीकापुर के अखाड़े में निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं. वो भी सपा के लिए चुनौती खड़ी करते दिख रहे हैं. खुलेआम बगावत करने वालों के अलावा सपा में ऐसे भितरघातियों की भी संख्या बहुतायत में है.

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वहीं भाजपा में भी बागियों की कमी नहीं है. बलिया के बैरिया से विधायक सुरेंद्र सिंह टिकट नहीं मिला तो वह बागी तेवर दिखाते हुए एक वीईपी पार्ची के जरिए मैदान में उतर गए हैं. बैरिया से उनके सामने भाजपा प्रत्याशी व राज्यमंत्री विधायक आनंद शुक्ला लड़ रहे हैं. अब दो विधायक आमने-सामने हैं. गोंडा के कैसरगंज से भाजपा ने विनोद कुमार शुक्ला का टिकट काट दिया और वह बसपा प्रत्याशी बन गए. वहीं भाजपा के बरहज से विधायक सुरेश तिवारी ने भी टिकट कटने पर बसपा का दामन थाम लिया.

ऐसा भी देखने को मिल रहा है कि टिकट कटने से आहत कई ऐसे विधायक भी हैं जो खुद तो अधिकृत प्रत्याशी के साथ घूमकर साथ होने का दिखावा कर रहे हैं, पर उनके समर्थकों का समर्थन पार्टी के प्रत्याशियों को नहीं मिल रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में दो दर्जन नेता, सपा, बसपा व कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए और जीत गए, जिसमें दारा सिंह, अजय प्रताप सिंह, महेश त्रिवेदी, राकेश राठौर, लक्ष्मी नारायण, अनिल मौर्य जैसे कई नाम शामिल थे.

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