UP Election 2022: बदायूं से पांच बार विधायक रहे रामसेवक पटेल का ‘वनवास’ पूरा, 14 साल बाद बीजेपी में वापसी

बरेली की जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल के पिता रामसेवक पटेल ने घर वापसी की है. वह 14 साल बाद बीजेपी में दोबारा शामिल हो गए हैं. रामसेवक पटेल बदायूं से पांच बार विधायक रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 7, 2021 7:59 PM

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब आते ही रूहेलखंड में भी सियासी हलचल बढ़ने लगी है. बदायूं की विनावर विधानसभा से पांच बार के विधायक रामसेवक पटेल ने 14 साल बाद घर वापसी की है. मंगलवार को वह भाजपा में शामिल हो गए. उनकी बेटी रश्मि पटेल वर्तमान में बरेली की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. पूर्व विधायक के भाजपा में शामिल होने से विधानसभा चुनाव में फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. भाजपा जल्द ही कुछ और बड़े चेहरों को शामिल कराने की कोशिश में जुटी है.

रामसेवक सिंह पटेल ने 2007 में टिकट कटने पर भाजपा छोड़ दी थी. इसके बाद वह उमा भारती की पार्टी में शामिल हो गए थे. उन्होंने बसपा के उमेश प्रताप सिंह को बहुत कम अंतर से चुनाव हराया था. वह उमा भारती की पार्टी के इकलौते विधायक थे. हालांकि, कुछ समय बाद ही बसपा में शामिल हो गए थे. विनावर विधानसभा सीट परसीमन में बदल गई. इसके बाद 2017 में शिवसेना से चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद से वह भाजपा के विरोधी कहे जाने लगे थे. अब उनके भाजपा में शामिल होने से जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.

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सियासी पंडित मान रहे हैं कि रामसेवक पटेल को भाजपा बदायूं की सदर विधानसभा से चुनाव लड़ा सकती है. बरेली कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एवं युवा भाजपा नेता प्रशांत पटेल ने उनके भाजपा में आने से बड़ा सियासी लाभ होने की बात कही है.

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कुछ दिन पहले गिरा दी गई थी कोठी

रामसेवक पटेल उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद भाजपाइयों और अफसरों के रडार पर थे. उनको भाजपा का विरोधी माना जाता था, जिसके चलते बदायूं शहर में उनकी कोठी को गिरा दिया गया था. इसके साथ ही बड़ा नुकसान किया गया. मगर, अब उनके भाजपाई होने से उनका होने वाला नुकसान बचेगा. इसके साथ ही टिकट मिलने की भी उम्मीद है.

जेल से जीता था पहला चुनाव

रामसेवक सिंह पटेल 1989 में पहली बार विधायक बने थे. उस समय शहर में हुए दंगे के बाद उन्हें जेल भेजा गया था. उन्होंने जेल में ही रहकर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद रामसेवक 1991, 1993, 1996 और 2007 में चुनाव जीते थे, जबकि 2007 का चुनाव उमा भारती की पार्टी से चुनाव जीता था.

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हिंदुत्व की छवि, बिरादरी पर अच्छी पकड़

रामसेवक पटेल की छवि हिंदूवादी नेता के रूप में देखी जाती है.इसके अलावा जिले की राजनीति में बड़ा हस्तक्षेप रखने वाले कुर्मी वोटरों पर भी उनकी अच्छी पकड़ है.उनकी बरेली में भी रिश्तेदारियां हैं.

(रिपोर्ट :मुहम्मद साजिद, बरेली)

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