खादी कपड़े और नेता दोनों ही एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं. वजह साफ है कि नेताओं के कुर्ते सदरी टोपी में अगर फैशन और क्वालिटी की बात करनी है, तो खादी से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है. इन दिनों चुनावी माहौल में नेताओं ने अपने प्रचार-प्रसार को देखते हुए पहनावे पर भी खूब फोकस किया है. ज्यादातर नेता इस वक्त सर्दियों का भी ध्यान रखते हुए खादी कुर्ते के साथ वुलेन सदरी, पजामा का गेटअप कंपलीट कर रहे हैं. ऐसे में मार्केट में खादी वस्त्रों की धूम मची हुई है.
मार्केट में खादी की बढ़ती मांग ने राजनीति के मैदान में फैशन की बहार ला दी है. ऐसे में खादी वस्त्रों के दुकानों पर कई तरह के कपड़ों की डिमांड तेज हो गई है. जिनमे मुख्य रूप से खादी कुर्ता, सदरी, शॉल, स्टोल की खूब मांग बढ़ी है. चुनावी प्रचार को लेकर सजग हो चुके नेता भी अब जनता के बीच अपनी प्रेजेंटेशन को लेकर खूब चौकन्ना हो गए हैं. खादी की दुकानों पर इन दिनों ठंड ज्यादा होने से वूलेन सदरी की ज्यादा खरीद हो रही है.
जिले में खादी ग्रामोद्योग और गांधी आश्रम की 62 दुकानें हैं. सभी दुकानों में खादी के कपड़ों की बिक्री हो रही है. इन खादी कपड़ों के दाम लगभग सबकी खरीद को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया है. जिसमे ऊनी सदरी 900 से चार हजार तक, जैकेट 800 से तीन हजार तक, सिल्क की सदरी 900 से 1500 तक ,कुर्ता 400 से 2000 तक के रेंज पर उपलब्ध है. खादी के कपड़ों की 15 से 20 फीसदी मांग बढ़ी है. चूंकि अंतिम चरण में चुनाव है, इसलिए अब खरीदारी शुरू हुई है. अगले कुछ दिनों में बाजार में और तेजी की उम्मीद है.
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