यूपी निकाय चुनाव: सत्ता के खिलाफ रहा है मेरठ के शहरवासियों का मिजाज, आज दोहराएंगे इतिहास यहां लिखेंगे नई इबारत
यूपी निकाय चुनाव: मेरठ नगर निगम में मेयर पद पर 15 और 90 पार्षदों के लिए 598 प्रत्याशी सियासी मैदान में हैं. शहर क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में एक लाख से अधिक का इजाफा हुआ है. शहरी क्षेत्र में अब तक हर चुनाव में जनता ने सत्ता पक्ष के बजाय विपक्ष के उम्मीदवार पर भरोसा जताकर उसे मेयर बनाया है.
Meerut: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के दूसरे चरण के तहत मेरठ नगर निगम में गुरुवार को प्रत्याशी मेयर सहित अन्य प्रत्याशियों की किस्तम का फैसला करेंगे. वहीं अगर मेरठ नगर निगम के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो शहरवासी सत्ता की धारा के विपरीत चलना पसंद करते हैं.
सत्ता किसी भी दल की हो. शहरवासियों को उसके उम्मीदवार पसंद नहीं आते हैं. वह विपक्ष के प्रत्याशी पर ही अपना भरोसा जताती आई है. इस बार भाजपा के पास इस मिथक को तोड़ने की चुनौती है. वर्ष 1995 से 2017 तक नगर निगम के पांच बार हुए चुनावों में भाजपा ने दो और बसपा ने तीन बार जीत दर्ज की है. इनमें चार बार पिछड़ा वर्ग और एक बार अनुसूचित जाति का व्यक्ति शहर का पहला नागरिक बना.
1995 से 2017 तक इस तरह रही स्थिति
-
1995 में मेरठ नगर महापालिका के 60 वार्ड थे. तब बसपा प्रत्याशी अयूब अंसारी नगर प्रमुख चुने गए. बाद में नगर प्रमुख का पद मेयर के नाम से जाना गया.
-
इसके बाद वर्ष 2000 में सीमा विस्तार के बाद 70 वार्ड बने. बसपा के हाजी शाहिद अखलाक मेयर निर्वाचित हुए.
-
वर्ष 2006 में निगम के 80 वार्ड हो गए. भाजपा की पिछड़ा वर्ग से मधु गुर्जर ने जीत दर्ज कर मेयर पद की कुर्सी संभाली.
-
वर्ष 2012 में पिछड़ा वर्ग से भाजपा के हरिकांत अहलुवालिया मेयर बने.
-
2017 में 90 वार्ड में चुनाव हुआ. एससी कोटे से बसपा की सुनीता वर्मा ने मेयर पद पर जीत हासिल की.
मेरठ में 2017 में मेयर पद के नतीजे
निकाय चुनाव में 2017 में मेरठ में मेयर पद के चुनाव पर नजर डालें तो बसपा उम्मीदवार सुनीता वर्मा ने भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए जीत हासिल की थी. उन्हें 234,817 वोट मिले. वहीं भाजपा उम्मीदवार कांता कर्दम को 205,235 मत मिले. इस तरह सुनीता वर्मा ने करीब 29 हजार वोटों से जीत हासिल की. सपा को 47,153 मत और कांग्रेस को 28,794 वोट मिले.
Also Read: यूपी निकाय चुनाव: दूसरे चरण का मतदान 11 मई को, नौ मंडलों के 38 जिलों में होगा मतदान
सत्ता और विपक्ष के अपने-अपने दावे
इस बार भी मेयर पद को लेकर सत्ता और विपक्ष से अपने अपने दावे किए जा रहे हैं. बसपा जिलाध्यक्ष मोहित आनंद के मुताबिक 2017 की तरह इस बार भी शहर की जनता बसपा पर भरोसा जताएगी और मेरठ नगर निगम में महापौर पद पर पार्टी का कब्जा होगा. वहीं सपा के जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह का दावा है कि इस बार जनता पार्टी प्रत्याशी पर भरोसा जताएगी, लोग भाजपा शासन से नाराज है. सत्तापक्ष मेरठ नगर निगम से जुड़े मिथक को तोड़ने में सफल नहीं होगा. जबकि भाजपा महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंहल का दावा है कि दूसरे दलों का मेयर बनने से अब तक मेरठ महानगर का नुकसान हुआ है. इसलिए इस बार यकीनन मिथक टूटेगा और भाजपा का यहां कब्जा होगा.
मेयर पद पर 15 और 90 पार्षदों के लिए 598 उम्मीदवार मैदान में
मेरठ नगर निगम में मेयर पद पर 15 और 90 पार्षदों के लिए 598 प्रत्याशी सियासी मैदान में हैं. वहीं नगर पालिका मवाना में अध्यक्ष के लिए 16 और सरधना पालिका में अध्यक्ष के लिए 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हैं. मेरठ में मेयर पद के लिए 15 और 90 पार्षदों के लिए 598 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. जनपद में 90 वार्ड नगर निगम में हैं. मेरठ नगर निगम में ही इस बार 12.57 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मेरठ शहर क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में 1.34 लाख से ज्यादा का इजाफा हुआ है. इस बार करीब 1.75 लाख से अधिक मतदाता पहली बार इन चुनाव में वोट डालेंगे. वर्ष 2017 के निकाय चुनाव में मेरठ जनपद के 16 निकायों में कुल 14.33 लाख मतदाता थो, जिनकी संख्या अब 16.09 लाख हो गई है.
मेरठ जनपद में आरक्षण की स्थिति
-
मेरठ नगर निगम – अन्य पिछड़ा वर्ग
नगर पालिका परिषद
-
सरधना – अनारक्षित
-
मवाना – महिला
नगर पंचायत
-
किठौर – अनारक्षित
-
परीक्षितगढ़ – महिला
-
फलावदा – महिला
-
लावड़ – अनारक्षित
-
सिवाल खास – अनारक्षित
-
बहसूमा – अनुसूचित जाति
-
करनावल – महिला
-
दौराला – अनुसूचित जाति