UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है. पिछले कुछ समय से समाजवादी पार्टी के साथ प्रसपा के गठबंधन को लेकर अटकलें लगायी जा रही थीं, लेकिन अब इन अटकलों पर विराम लग गया है. सपा और प्रसपा में बात बनती नहीं दिख रही है. प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपनी बाहें जरूर अखिलेश यादव की तरफ बढ़ा दी हैं, लेकिन अखिलेश यादव उनके साथ आने के लिए तैयार नहीं हैं.
दरअसल, शिवपाल सिंह यादव पिछले एक साल से अखिलेश यादव के फोन और संदेश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक निराशा हाथ लगी है. शिवपाल कदम बढ़ाते हैं, लेकिन अखिलेश पीछे हट जाते हैं. पिछले दिनों इटावा में एक कार्यक्रम के दौरान शिवपाल यादव ने कहा था, मैंने तो 22 नवंबर 2020 को ही कहा था कि अगर एक हो जाओगे तो मुख्यमंत्री बनोगे. हमें सम्मान मत दो लेकिन हमारे साथ के लोगों को सम्मान दे देना. शिवपाल ने कहा, मैंने अखिलेश यादव को न जाते कितनी बार फोन किया, मैसेज किया, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. मैं आज तक इंतजार कर रहा हैं.
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शिवपाल यादव ने यह भी कहा है कि वे 11 अक्टूबर तक अखिलेश यादव के जवाब का इंतजार करेंगे. अगर जवाब आ जाता है तो ठीक है, नहीं तो वे 12 अक्टूबर से अपनी सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा मथुरा वृंदावन से निकालेंगे. उन्होंने कहा कि वे सूबे की सभी 403 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा करेंगे.
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हालांकि, शिवपाल सिंह यादव ने अब आर-पार की जंग लड़ने की तैयारी कर ली है. उन्होंने कहा, बस अब बहुत हो गया. अब मैं लड़ाई के लिए तैयार हूं. मैं जवाब का (अखिलेश से) इंतजार करते-करते थक गया हूं. पांडवों ने भी 5 गांव मांगे थे. मैंने भी केवल अपने लोगों का सम्मान मांगा थाा. उधर दुर्योधन, भीष्म और द्रोणाचार्य जैसे योद्धा थे, लेकिन जीत पांडवों की हुई. उन्होंने कृष्ण के साथ मिलकर युद्धभूमि में जीत हासिल की थी.
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच जारी सियासी तनातनी को लेकर मौका भुनाने से नहीं चूक रही है. बीजेपी का कहना है कि अखिलेश यादव अभिमान में हैं. शिवपाल यादव तो बार-बार कोशिश कर रहे हैं कि समाजवादी कुनबा एक हो जाए, लेकिन अखिलेश नहीं मान रहे हैं. बीजेपी का यह भी आरोप है कि अखिलेश यादव अन्य दलों के साथ गठंबधन करने को तो बेताब हैं, लेकिन अपने चाचा को सम्मान नहीं दे पा रहे हैं. जो परिवार नहीं चला पा रहा है, वह सरकार क्या चलाएगा.
Posted By: Achyut Kumar