UP MLC Chunav 2022: एमएलसी चुनाव में प्रत्याशियों को वरीयता से मिलेगी जीत, ऐसे होती है मतगणना
एमएलसी चुनाव में मतदान और मतगणना की प्रक्रिया विधानसभा, लोकसभा, ग्राम पंचायत और नगर निकाय चुनाव से बिल्कुल अलग होती है. एमएलसी चुनाव में बैलेट पेपर पर चुनाव चिन्ह नहीं होते. उनके नाम होते हैं
UP MLC Chunav 2022 : उत्तर प्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (एमएलसी) की रामपुर-बरेली सीट पर 9 अप्रैल को मतदान हुआ. 4880 मतदाताओं में से 4752 मतदाताओं ने 28 पोलिंग बूथों पर मतदान किया. मगर, अब मंगलवार (12 अप्रैल) की सुबह से बरेली के संजय कम्युनिटी हाल में कांउटिंग होगी. इसके लिए प्रत्याशियों के एजेंट बन चुके हैं. प्रशासन और पुलिस अफसरों ने मतगणना की व्यवस्थाओं को परखने के बाद संबंधित अफसर-कर्मचारियों को निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ मतगणना के निर्देश दिए.
आम चुनाव से अलग होती है मतगणना
एमएलसी चुनाव में मतदान और मतगणना की प्रक्रिया विधानसभा, लोकसभा, ग्राम पंचायत और नगर निकाय चुनाव से बिल्कुल अलग होती है. एमएलसी चुनाव में बैलेट पेपर पर चुनाव चिन्ह नहीं होते. उनके नाम होते हैं. इस बैलेट पेपर पर बैगनी रंग के पेन से प्रत्याशी के नाम के आगे मूल्यांकन करना होता है. इसमें प्रत्याशी के नाम के आगे हस्ताक्षर, मुहर, पेन चलाने से वोट निरस्त होता है.
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वरीयता वोटों के आधार पर होती है मतगणना
अन्य चुनाव में मतदाता एक ही प्रत्याशी को वोट देते हैं. मगर, इस चुनाव में एक, दो या तीन, जितने भी प्रत्याशी हैं. उनको वरीयता क्रम में वोट देने का विकल्प होता है. इसलिए वोट की मतगणना प्रेफरेशियल (वरीयता) वोटों के आधार पर होती है.
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प्रथम वरीयता के वोट के आधार पर कोटा का निर्धारण किया जाएगा. कोटा निर्धारण में मान्य वोटों में दो से भाग देकर प्राप्त संख्या में एक अंक जोड़ दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर मान्य वोटों का कोटा 51 निर्धारित होगा. प्रथम गणना में ही 51 वोट या अधिक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाएगा. वहीं, प्रथम गणना में इससे कम वोट पाने वालों को मतगणना से हटाते हुए उसे प्राप्त दूसरी वरीयता के वोट संबंधित प्रत्याशी के वोट में जोड़ दिए जाएंगे.
यह सिलसिला तब तक चलेगा, जब तक किसी उम्मीदवार को जीत के लिए जरूरी वोट न मिल जाएं. अगर, अंत तक बचे दो उम्मीदवारों में भी किसी को जरूरी वोट नहीं मिलते, तो चुनाव अयोग ज्यादा वोट लाने वाले को विजेता घोषित कर देता है .
रिपोर्ट – मुहम्मद साजिद, बरेली