UP News : श्री कृष्ण जन्मस्थान – शाही ईदगाह मस्जिद का मामला हाई कोर्ट पहुंचा, 18 को होगी अगली सुनवाई
श्री कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद का मामला अब हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख तय की है. इससे पहले याची से पूछा कि वह हाई कोर्ट क्यों आए हैं?
मथुरा. इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद मामले में सुनवाई हुई. इसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का कारण पूछा. याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट हरिशंकर जैन ने बताया कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है. लोगों से जुड़ा हुआ है. इसलिए हम इस मामले को लेकर हाईकोर्ट आए हैं. ऐसे में हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख दी है.
मथुरा सिविल कोर्ट केस कर चुका है खारिज
सुप्रीम कोर्ट की वकील रंजना अग्निहोत्री ने श्री कृष्ण जन्मस्थान से जुड़े सभी वादों को मर्ज करने के लिए मथुरा सिविल कोर्ट में वाद दाखिल किया था. जिसमें मथुरा सिविल कोर्ट द्वारा इस केस को खारिज कर दिया गया. इसके बाद अक्टूबर में यह कोर्ट रिवीजन के लिए जिला जज की कोर्ट में दाखिल किया गया और अभी मथुरा कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है. हालांकि इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर कर दी गई है.
श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से छह लोग वादी
श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से दाखिल वाद में रंजना अग्निहोत्री के अलावा हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, अरुण शुक्ला सहित छह लोग वादी हैं. इस मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को प्रतिवादी बनाया गया है.
हिंदू सेना ने ईदगाह के अमीन सर्वे को लेकर किया वाद दाखिल
वहीं हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा मथुरा कोर्ट में शाही ईदगाह के अमीन सर्वे को लेकर 8 दिसंबर को वाद दाखिल किया था. सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अमीन के सर्वे के आदेश पर दिए थे और इस आदेश पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी. जिसके बाद कोर्ट ने आदेश का अनुपालन कराने के लिए 29 मार्च को फिर से आदेश कर दिए. वहीं मुस्लिम पक्ष ने पहले 7 रूल 11 पर सुनवाई के लिए कहा तो कोर्ट ने स्टे देते हुए 11 अप्रैल की तारीख दी थी. इसी मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई.
वाद में 1968 में हुए समझौते को चुनौती
आपको बता दे श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से दाखिल वाद में 1968 में हुए समझौते को चुनौती दी गई है. 1946 में जुगल किशोर बिरला ने जमीन को श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर दे दिया था. जबकि देखभाल के लिए वाद में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाया गया. इसके बाद 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही ईदगाह कमेटी से समझौता कर लिया और इसी समझौते को अवैध करार देते हुए कोर्ट में चुनौती दी गई.