UP News : विलुप्त हो रही प्रजाति इंडियन फ्लैप सेल कछुओं के साथ चार तस्कर दबोचे, चीन में होनी थी डिलेवरी
तस्कर अंतरराष्ट्रीय गैंग से जुड़े हैं. बरामद कुछुआ को नेपाल भेजा जाना था. नेपाल के जरिए चीन, इंडोनेशिया ,सिंगापुर,नेपाल,पाकिस्तान आदि देशों में इनको सप्लाई किया जाता है.
गोरखपुर. पुलिस ने स्कार्पियो गाड़ी से 34 प्रतिबंधित कछुओं को बरामद कर 4 तस्करों को गिरफ्तार किया है. तस्कर इन कछुओं को गोरखपुर के रामगढ़ताल से पकड़ कर बोरों में भर कर स्कॉर्पियो गाड़ी से कैंपियरगंज के रास्ते नेपाल ले जाने की फिराक में थे. नेपाल देश से इनको चीन देशों में भेज दिया जाता. 34 इंडियन फ्लैप सेल कछुआ में 19 कछुओं की मौत हो चुकी है और 15 जिंदा है. गोरखपुर के कैंट थाने की पुलिस ने गोरखपुर के रामगढ़ताल से पकड़कर 10 बोरों में भरकर तस्करी कर ले जाई जा रही कछुओं के खेप को मोहद्दीपुर के पास पकड़ लिया. सभी तस्करों के खिलाफ केस दर्ज किया है. 15 जिंदा कछुओं को वापस रामगढ़ताल में छोड़ दिया हैं. विशेषज्ञों के अनुसार यह कछुए विलुप्त होने के कगार पर हैं.
अंतरराष्ट्रीय मार्केट मे एक कछुआ की कीमत 50 हजार रुपयेतस्करों की पहचान बलिस्टर सिंह निवासी जगमाझा थाना इकौना देवरिया, सुग्रीव निषाद निवासी महरवा की बारी थाना कैंट गोरखपुर, बबलू निषाद निवासी महरवा की बारी थाना कैंट गोरखपुर और दुर्गेश साहनी निवासी झुगियां थाना बखीरा संत कबीर नगर के रूप में हुई है. पूछताछ में खुलासा हुआ है कि इन कछुआ के एवज में मुंहमांगी कीमत मिलती है. वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और फोटोग्राफर चंदन प्रतीक ने बताया कि कछुए का मांस निकालने के बाद हड्डी – कवच से पुलिस ने बताया कि विशेष प्रकार के प्रजाति वाले कछुओं का इस्तेमाल मर्दाना शक्ति बढ़ाने वाली दवाओं के लिए किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट मे एक कछुआ की कीमत 50 हजार रुपये के करीब है.
तस्करों ने बताया कि कछुओं की तस्करी के पीछे एक बड़ा गैंग काम कर रहा है. यह अमेठी ,सुल्तानपुर वाया गोरखपुर दुर्लभ कछुओं की खेप पहुंचाने का काम कर रहा है. पहले वह लोग कछुओं को कोलकाता भेजते थे, वहां यह कछुए करीब 350 ₹ प्रति किलो की रेट से बिकते हैं. वहां से बांग्लादेश भेज देते हैं. इस समय इन कछुओं की डिमांड कोलकाता से अधिक नेपाल में है. आज इस मामले का खुलासा करते हुए एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि इन तस्करों को मोहद्दीपुर के पास से गिरफ्तार किया है.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप