Loading election data...

UP News : दिल्ली NCR की हवा सुधारेगा IIT कानपुर, क्लाउड सीडिंग के जरिए प्रदूषण पर होगा नियंत्रण…

आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने बताया कि कृत्रिम बारिश से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के निवासियों को एक सप्ताह तक खराब वायु गुणवत्ता से अस्थायी राहत मिल सकती है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 6, 2023 4:57 PM
an image

कानपुर. दिल्ली-एनसीआरमें बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच आईआईटी कानपुर ने इस समस्या से निपटने के लिए एक समाधान निकाला है.भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर अब दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए कृत्रिम बारिश(क्लाउड सीडिंग) कराएगा.आईआईटी प्रशासन का कहना है कि उसने हवा से प्रदूषकों और धूल को साफ करने में मदद के लिए कृत्रिम बारिश के उपयोग का प्रस्ताव दिया है.बताते चले कि पांच साल से ज्यादा समय से आईआईटी कानपुर कृत्रिम बारिश के लिए जरूरी परिस्थितियां पर काम कर रहा है और जुलाई में इसका सफल परीक्षण किया है. रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने क्लाउड सीडिंग के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) सहित सरकारी अधिकारियों से अनुमति हासिल कर ली है.


वायु गुणवत्ता से राहत दिलाएगी कृत्रिम बारिश

इस परियोजना का नेतृत्व करने वाले आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने बताया कि कृत्रिम बारिश से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के निवासियों को एक सप्ताह तक खराब वायु गुणवत्ता से अस्थायी राहत मिल सकती है.हालांकि, कृत्रिम बारिश करवाने के लिए विशिष्ट मौसम संबंधी स्थितियों की जरूरत होती है, जैसे पर्याप्त नमी वाले बादलों की उपस्थिति और उपयुक्त हवाएं. क्लाउड सीडिंग और कृत्रिम बारिश कराना अभी कोई सटीक विज्ञान नहीं है और यह देखना बाकी है कि क्या सर्दियों के शुरुआती महीनों में या बड़े पैमाने पर काम कर सकता है या नहीं. इसमें ताजी हवा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में विमान उड़ाने के लिए डीजीसीए, गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विशेष सुरक्षा समूह सहित कई अनुमोदन प्राप्त करना भी शामिल है.

Also Read: Indian Railways : लालकुआँ वाया बरेली- कानपुर के बीच स्पेशल ट्रेन 7 नवंबर से चलेगी, इन जगहों पर होगा ठहराव…
दिल्ली गवर्नमेंट ने आईआईटी कानपुर को भेजा प्रस्ताव

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ.मणिंद्र अग्रवाल ने मीडिया से कहा कि दिल्ली गवर्नमेंट ने उनसे संपर्क साधा है और इसके लिए प्रपोजल भी भेजा है. एक बार एमओयू साइन होता है तो उसके बाद आवश्यक परमीशन की भी जरूरत पड़ेगी. इसकी तकनीक के लिए सबसे जरूरी है बादल, जो अभी इस हफ्ते तो आते हुए नहीं दिख रहे हैं. एक बार ये काम शुरू हो जाता है तो पॉल्यूशन में राहत देने के लिए ये तकनीक काम आ सकती है.

Exit mobile version