Loading election data...

UP News: किन्नरों को IMS BHU ने सर्जरी के बाद दी नई जिंदगी, थर्ड जेंडर से मुक्ति पाकर मजबूत हुई रिश्ते की डोर

वाराणसी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईएमएस) के मुताबिक जिन किन्नरों की सर्जरी हुई है, वह अपना निजी जीवन सामान्य लोगों की तरह बिता रहे हैं. सर्जरी के जरिए इन्हें नया जीवन मिला है. इनमें फीमेल के हार्मोन्स ज्यादा थे. सर्जरी के बाद इन्हें महिला का जीवन प्रदान किया गया.

By Sanjay Singh | May 16, 2023 4:32 PM

Varanasi: किन्नरों के जीवन का दर्द किसी से छिपा नहीं है. इनके लिए सामाजिक अपमान और बहिष्कार जैसी बातें सामान्य हैं. लोग इन्हें अपने करीब नहीं आने देना चाहते. शिक्षा, रोजगार जैसे कई मुद्दों पर इन्हें तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में वाराणसी का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस(आईएमएस) किन्नरों के जीवन में सुखद बदलाव लाने का काम कर रहा है. संस्थान अब तक तीन ट्रांसजेंडर को नया जीवन दे चुका है, जिसमें वह तानों भरे जीवन से मुक्ति पाकर स्त्री या पुरुष के रूप में खुशहाली की जिंदगी गुजार रहे हैं.

सामान्य लोगों की जिदंगी जीने का मिला मौका

वाराणसी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईएमएस) के मुताबिक ये तीनों लोग अपना निजी जीवन सामान्य लोगों की तरह बिता रहे हैं. सर्जरी के जरिए इन्हें नया जीवन मिला है. बताया जा रहा है कि जिन तीन किन्नरों की सर्जरी हुई है, उनमें फीमेल के हार्मोन्स ज्यादा थे. हालांकि मेल और फीमेल की पहचान के अंगों के हिसाब से वह पुरुष की तरह थे. जांच के बाद उन्हें महिला का जीवन प्रदान किया गया.

सर्जरी कराने वाले की पहचान रखी जाती है गुप्त

यूरोलॉजी विभाग के प्रो. समीर त्रिवेदी बताते हैं कि यहां सर्जरी में 50 हजार से भी कम का खर्च आता है. इसके अलावा ऑपरेशन कराने वाले थर्ड जेंडर की पहचान भी गुप्त रखी जाती है, जिससे वह अपनी पहचान सार्वजनिक होने के कारण भय से ग्रसित नहीं हो. सर्जरी से पहले सभी जरूरी बातों का ध्यान रखा जाता है.

Also Read: UP News: बसपा का निकाय चुनाव में फॉर्मूला फेल, मेयर पद की दो सीटें भी गई हाथ से, बरेली में बड़ा नुकसान…
हार्मोन की जांच के बाद किया जाता है निर्णय

डॉक्टर पहले हार्मोन की जांच करते हैं. इससे पता चलता है कि सर्जरी कराने के इच्छुक इंसान में किस हार्मोन की अधिकता और कमी है. जीन के आधार पर तय किया जाता है कि मरीज को हार्मोनल थेरेपी दी जाएगी या फिर सर्जरी करना बेहतर होगा. इस वर्ष 18 वर्ष से कम उम्र के 47 किन्नरों का सैंपल लिया गया, जिसमें से तीन सर्जरी हो चुकी है. हार्मोन के आधार पर इन्हें महिला बनाने का निर्णय किया गया. इसमें सर्जरी के जरिए आंत के टुकड़े और चमड़ी से अंग तैयार किया गया.

इस वजह से स्त्री ओर पुरुष के व्यवहार में नजर आता है बदलाव

चिकित्सकों के मुताबिक कई बार डिसऑर्डर ऑफ सेक्सुअल डेवलपमेंट के कारण लोग ट्रांसजेंडर की श्रेणी में आ जाते हैं. आईएमएस बीएचयू में एनाटॉमी, इंड्रोक्राइन, यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी और मानसिक विभाग के संयुक्त अध्ययन में पाया गया कि कई बार पुरुषों में टेस्टोस्ट्रॉन हार्मोन की कमी से वह लड़कियों जैसा व्यवहार करते हैं. वहीं महिलाएं में एस्ट्रोजेन की कमी या टेस्टोस्ट्रॉन हार्मोन सामान्य से अधिक मात्रा में होने से उनका व्यवहार पुरुषों की तरह होता है.

हार्मोनल थेरेपी सफल नहीं होने पर की जाती है सर्जरी

इलाज के लिए आने वाले लोगों का सबसे पहले सैंपल लिया जाता है. इसके बाद इन्हें हार्मोनल थेरेपी दी जाती है. सुधार नहीं होने पर बच्चों की पीडियाट्रिक और युवाओं की यूरोलॉजी विभाग में सर्जरी की जाती है. इस तरह संबंधित किन्नर को नया जीवन मिलता है और वह भी सामाजिक तौर पर खुद को सुरक्षित महसूस करता है.

Next Article

Exit mobile version