Lucknow: यूपी में संगठित अपराध और गिरोह के खात्मे के लिए गठित एसटीएफ ने गुरुवार को स्थापना दिवस पर खुद को बड़ा तोहफा दिया. एसटीएफ ने पश्चिमी यूपी में आतंक का पर्याय बन चुके कुख्यात अपराधी गैंगस्टर अनिल दुजाना उर्फ अनिल नागर को गुरुवार को मुठभेड़ में मार गिराया. तब से लेकर एसटीएफ कई कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार करने से लेकर मौत की नींद सुला चुकी है. यूपी में कई कुख्यात अपराधी अभी भी एसटीएफ के निशाने पर हैं.
यूपी एसटीएफ की स्थापना 4 मई 1998 को की गई थी. कहा जाता है कि यूपी में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने का विचार तब कु्ख्यात माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला पर शिकंजा कसने के लिए आया था. दरअसल, माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला यूपी पुलिस के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द बन चुका था. अपराध जगत में उसका बड़ा नाम यूपी पुलिस के लिए चुनौती बन गया था. कहा जाता है कि उसने एक बार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ले ली थी. इसके बाद एसटीएफ की स्थापना कर ऐसे अपराधियों पर शिकंजा कसा गया, जो सिलसिला अभी तक जारी है.
एडीजी यूपी एसटीएफ अभिताफ यश ने कहा कि आज हमारे संगठन की 25वीं जयंती है. यूपी एसटीएफ के गठन के दिन ही हमारी मेरठ टीम ने दुर्दांत अपराधी को मार गिराया. ये बहुत बड़ी बात है.
75 हजार के इनामी अनिल दुजाना की बात करें तो उस पर उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में हत्या, रंगदारी, फिरौती और अन्य गंभीर अपराधों के 65 मामले दर्ज थे. पश्चिमी यूपी में आतंक का पर्याय रहे अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना के मारे जाने के बाद एसटीएफ बेहद उत्साहित है. इसके साथ ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा और सिकंदराबाद के कारोबारियों ने राहत की सांस ली है.
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अनिल दुजाना पर जेल में रहते के बावजूद लोगों से रंगदारी मांगने के आरोप हैं. अनिल दुजाना कुछ दिनों पहले ही जेल से बाहर आया था और एक बार फिर आपराधिक वारदातों में सक्रिय हो गया था. जेल से बाहर आते ही उसने एक व्यापारी से 50 लाख की फिरौती मांगी थी, तभी से एसटीएफ उसके बारे में सुराग जुटाने में लगी थी.
दरअसल योगी आदित्यनाथ सरकार की तरफ से राज्य भर के जिन 66 माफियाओं की सूची बनाई गई है, उनमें सुंदर भाटी, अनिल दुजाना, रणदीप भाटी, सिंहराज भाटी, अनिल कसाना, अनिल भाटी और मनोज उर्फ आसे जैसे सात बड़े अपराधी गौतमबुद्धनगर से ताल्लुक रखते हैं. अनिल दुजाना के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद इनकी संख्या अब छह रह गई है.
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पश्चिमी यूपी में सुंदर भाटी अपराध की दुनिया का सबसे कुख्यात नाम है. ग्रेटर नोएडा के घंघोला गांव के रहने वाले सुंदर भाटी ने 1990 के बाद से अपराध की दुनिया में कदम रहा. इस समय यह सोनभद्र जेल में बंद है. सुंदर भाटी पर जेल के अंदर से गैंग चलाने और आपराधिक वारदातों को अंजाम देने का आरोप है. हाल ही में प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिद रसीद अशरफ हत्याकांड में भी सुंदर भार्टी का नाम चर्चाओं में है.
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सुंदर भाटी की तरह उसका भतीजा अनिल भाटी भी यूपी पुलिस की लिस्ट में शातिर अपराधियों में शुमार है. सुंदर भाटी के गैंग को संचालित करने में अनिल की बेहद अहम भूमिका मानी जाती है. हालांकि सुंदर भाटी की तरह अनिल भी जेल में है. वह इस समय दिल्ली में जेल की सलाखों के पीछे हैं. जेल के अंदर रहते हुए भी उस पर लोगों को धमकाने का आरोप है.
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सुंदर भाटी का एक अन्य भतीजा सिंहराज भाटी भी उसके पश्चिमी यूपी में अपराध की दुनिया में कुख्यात नाम है. सिंहराज भाटी ने भी कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया है. सुंदर भार्टी के साथ मिलकर उसने गिरोह का दायरा बढ़ाया. सिंहराज भाटी भी इस समय जेल की सलाखों के पीछे है.
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पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधियों की सूची में एक अन्य बड़ा नाम अमित कसाना का है. इसकी सुंदर भार्टी गिरोह से पुरानी दुश्मनी है. दरअसल अमित कसाना के मामा नरेश भाटी हत्याकांड में सुंदर भार्टी पर आरोप लगे. इसे बाद से वह सुंदर भार्टी से बदला लेना चाहता है, इसीलिए उसने मामा नरेश भार्टी के गैंग की कमान संभाली. अमित कसाना पर भी कई मामले दर्ज हैं और इस समय वह दिल्ली में जेल की सलाखों के पीछे है.
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नरेश भाटी का छोटा भाई रणदीप भाटी भी पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधियों में से एक है. इस पर गैंगस्टर एक्ट सहित कई मुकदमे दर्ज हैं. रणदीप के पश्चिमी यूपी और अन्य जगह के गिरोह से संबंध बताए जाते हैं. अपराध के जरिए इसने अपना बड़ा आपराधिक साम्राज्य भी खड़ा और इस समय जेल में है.
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यूपी पुलिस के लिस्ट में एक अन्य अपराधी मनोज उर्फ आसे है. मनोज के गैंग को कुछ समय पहले ही पुलिस रिकॉर्ड में पंजीकृत किया गया है. बेहद कम समय से मनोज उर्फ आसे ने हत्याा, रंगदारी सहित अपराधों के जरिए लोगों में खौफ पैदा करने का काम किया है. ग्रेटर नोएडा के इमलिया गांव निवासी मनोज इस समय फरार चल रहा है. पुलिस उसकी तलाश कर रही है.