लखनऊ/ अलीगढ़ : बारिश के चलते तापमान में गिरावट आई है वहीं कुछ फसल पर संकट भी खड़ा हो गया है. अगर लगातार तापमान गिरा और बारिश होती रही तो सरसों,आलू, चना, मटर की फसल के लिए यह नुकसानदायक साबित होगा. हालांकि कृषि विभाग ने फसल को नुकसान से बचाने के लिए किसानों को सचेत किया है और फसलों को बचाने के उपाय सुझाए हैं. इस साल अलीगढ़ में सरसों की फसल का रकबा करीब 90 हजार हेक्टेयर से ज्यादा है. वही, सर्दी में होने वाली इस फसल की बुवाई के बाद तापमान का गिरना इसके लिए घातक सिद्ध होता है. पिछले दो दिनों में बारिश से इस पर असर पड़ सकता है. अगर बूंदाबांदी जारी रही तो सरसों पर कीट आदि लग जाएंगे. जिससे फसल को नुकसान होगा. सरसों की फसल में चेंपा किट, तुलासिता रोग, अंगमारी रोग आदि हो जाते हैं, हालांकि जिला कृषि अधिकारी अमित जायसवाल ने बताया कि चेंपा किट सरसों की खेती पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है. चेंपा फसलों का रस चूसने वाली श्रेणी का कीट है. यह कीट बहुत छोटा होता है.
वही तुलासिता रोग एक कवकजनित रोग है. जो शुरुआती अवस्था में पौधों की पत्तियों व टहनियों पर मटमैले चूर्ण के रूप में दिखाई देता है. बाद में यह पूरे पौधे में फैल जाता है. इससे पत्तियां पीली होकर गिरने लगती है. अंगमारी रोग में सरसों की पत्तियों पर भूरे रंग के उभरे हुए धब्बे दिखाई देते हैं. उनके किनारे पीले रंग होते हैं. इसके धब्बे आपस में मिलकर बड़े हो जाते हैं. जिसके चलते पत्तियां पीली होकर झड़ने लगती है. जिला कृषि अधिकारी के मुताबिक समय पर यदि कीटनाशक का छिड़काव करते रहेंगे तो फसल को रोग, कीट से बचाया जा सकता है.
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अलीगढ़ में आलू का रकबा करीब 33000 हेक्टेयर है. बारिश का असर आलू की खेती पर भी पड़ता है. जिला कृषि अधिकारी अमित जायसवाल ने बताया कि बारिश के बाद मौसम में आद्रता बढ़ जाती है जिसके बाद रोग होने की संभावना रहती है. आलू में झुलसा बीमारी से फसल खराब होती है. बेमौसम बारिश से फसल पर असर पड़ता है, हालांकि गेहूं की फसल के लिए राहत की बात है. बारिश से वातावरण में नमी बढ़ जाती है. सोमवार को भी वातावरण में कोहरा और धुंध छाया हुआ है. आसमान में भी बादल छाए रहे. हालांकि गेहूं के लिए यह ठीक है क्यों कि सिंचाई की जरुरत नहीं पड़ेगी. वही इस समय की बारिश चना, मटर और अन्य दलहनी फसलों के लिए ठीक नहीं है.