खरसावां में गूंजा बंदे उत्कल जननी, अपनी भाषा और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का लिया संकल्प
Jharkhand news: खरसावां में 86वां उत्कल दिवस मनाया गया. इस मौके पर ओड़िया समुदाय के लोगों ने भाषा और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया. वहीं, तीन रिटायर्ड टीचर्स को सम्मानित भी किया गया.
Jharkhand News: उत्कल सम्मिलनी ओड़िया शिक्षक संघ की ओर से खरसावां में 86वां उत्कल दिवस मनाया गया. मौके पर उत्कलमणी पंडित गोपबंधु दास एवं उत्कल गौरव मधु सुदर दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इस दौरान ओड़िया शिक्षक एवं ओड़िया समुदाय के लोगों ने अपनी भाषा एवं संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया.
भाषा और संस्कृति ही हमारी पहचान
मौके पर रिटायर्ड टीचर कामाख्या प्रसाद षाड़ंगी ने कहा कि भाषा और संस्कृति ही हमारी पहचान है. इसके उत्थान के लिए सभी को संगठित होकर कार्य करना होगा. उत्कल सम्मिलनी के जिलाध्यक्ष हरिश चंद्र आचार्या ने ओड़िया भाषा में बोलचाल और पठन-पाठन को भी बढावा देने पर बल दिया. साथ ही कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करनी होगी कि ओड़िया भाषी बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर सके.
ओड़िया भाषियों के हितों की रक्षा करने की मांग
उत्कल सम्मिलनी के जिला परिदर्शक सुशील कुमार षाड़ंगी ने कहा कि अपने अधिकार के लिए ओड़िया समुदाय के लोगों को भी जागरूक होना होगा. उन्होंने ओड़िया समाज के लोगों से भाषा-संस्कृति के विकास में अपना सहयोग देने की अपील की. साथ ही सरकार से भी ओड़िया भाषियों के हितों की रक्षा करने की मांग की. वहीं, विरोजा कुमार पति ने कहा कि समाज के सभी लोगों को अपनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के उत्थान में कार्य करना होगा. मातृभाषा और अपनी भाषा-संस्कृति के प्रति हमेशा सम्मान रखना हम सभी का कर्तव्य है.
3 रिटायर्ड टीचर्स सम्मानित
कार्यक्रम के दौरान उत्कल सम्मिलनी की ओर से 3 रिटायर्ड टीचर्स को सम्मानित किया गया. रिटायर्ड टीचर्स कामाख्या प्रसाद षाड़ंगी, हरिश चंद्र आचार्य, विरोजा कुमार पति को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया. इस दौरान सुशील कुमार षाड़ंगी, अजय प्रधान, सरोज मिश्रा, जयजीत षाड़ंगी, भरत चंद्र मिश्र, रंजीत मंडल, सविते विषेय, रेणु महाराणा, रश्मि रंजन मिश्रा, चंद्र भानु प्रधान, रंजीता मोहंती, रचीता मोहंती, सचिदानंद प्रधान, सत्यव्रत चौहान, कनीता दे, धरणीधर मंडल, सपना नायक, झुमी मिश्रा आदि उपस्थित थे.
बंदे उत्कल जननी का हुआ सामूहिक गायन
मौके पर उपस्थित सभी लोगों ने बंदे उत्कल जननी गीत का सामूहिक रूप से गायन किया. साथ ही प्राचीन उत्कल के गौरवमयी गाथा को याद किया. मौके पर स्वतंत्र ओड़िशा राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निवाले वाले महापुरुषों के साथ साथ भाषा, संस्कृति व साहित्य के लिए कार्य करने वाले हमान विभूतियों को याद किया गया. मौके पर ओड़िया समुदाय के लोगों ने भाषा, साहित्य व संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य करने का संकल्प लिया.
क्यों मनाया जाता है उत्काल दिवस
एक अप्रैल, 1936 को भाषा के आधार पर स्वतंत्र ओड़िशा प्रदेश का गठन किया गया था. तभी से एक अप्रैल को उत्कल दिवस मनाया जाता है. इसी दिन स्वतंत्र ओड़िशा प्रदेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विभूतियों को याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है.
रिपोर्ट : शचीन्द्र कुमार दाश, सरायकेला-खरसावां.