Loading election data...

Utpanna Ekadashi 2022: इस दिन है उत्पन्ना एकादशी, बन रहे हैं पांच शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त

Utpanna Ekadashi 2022 Shubh Yog: सभी एकादशी तिथियों में उत्पन्ना एकादशी का बेहद खास महत्व होता है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत सबके लिए 20 नवंबर 2022 रविवार को होगा. इस बार उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच खास योग बन रहे हैं.

By Shaurya Punj | November 18, 2022 7:49 AM

Utpanna Ekadashi 2022:  हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. एकादशी तिथि महीने में दो होती है, पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में. एकादशी तिथि साल में 24 होती है. सभी एकादशी तिथियों में उत्पन्ना एकादशी का बेहद खास महत्व होता है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत सबके लिए  20 नवंबर 2022 रविवार को होगा

उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 19, 2022 को 10:29AM
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 20, 2022 को 10:41AM
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – नवंबर 21, 06:40 ए एम से 08:47AM

उत्पन्ना एकादशी पर 5 शुभ योग

प्रीति योग- सूर्योदय से लेकर रात 11 बजकर 04 मिनट तक
आयुष्मान योग- रात 11 बजकर 04 मिनट से अगले दिन रात 09 बजकर 07 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 47 मिनट से रात 12 बजकर 36 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 47 मिनट से रात 12 बजकर 36 मिनट तक
द्विपुष्कर योग- रात 12 बजकर 36 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 48 मिनट तक

व्रत रखने का नियम

उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत रखा जाता है और उनकी पूजा की जाती है. यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. एक निर्जला और दूसरा फलाहरी या जलीय व्रत. सामान्यत: निर्जला व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को ही रखनी चाहिए. अन्य सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय व्रत रखना चाहिए.

हल्दी मिले हुए जल से ही दें अर्घ्य

उत्पन्ना एकादशी के दिन की शुरूआत भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर करते हैं. अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दे चाहिए. रोली या दूध का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इस व्रत में दशमी को रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए. एकादशी को प्रात: काल श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाने की परंपरा है.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

देवी एकादशी श्री हरि का ही शक्ति रूप हैं, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था. इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मनुष्यों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. उत्पन्ना एकादशी आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है.

Next Article

Exit mobile version