एडीजी प्रेम प्रकाश ने मंगलवार को सोशल मीडिया के सहारे लोगों से अपील करते हुए कहा, कि अक्सर शिकायत विनती है कि थानों में संगे मामलों में मुकदमा दर्ज करने में पुलिस आना – कानी करती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पीड़ित को परेशान होने की जरूरत नहीं है वह आसान भाषा में अपने साथ हुई घटना क्रम लिख कर संबंधित थाने में तहरीर दे, यदि थाने की पुलिस मुकदमा दर्ज करने में हीलाहवाली या इनकार करती है, तो तहरीर की एप्लीकेशन एसएसपी को रजिस्ट्री करें.
एडीजी प्रेम प्रकाश ने कहा की क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की धारा 154 के तहत किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना थाने को दी जाती है तो थाना अध्यक्ष का यह दायित्व है कि वह मुदकमा दर्ज आवश्यक करवाई करे. सूचना यदि मौखिक दी जाती है तो, FIR से पहले मुकदमा दर्ज कराने वाले को पढ़ कर सुनाया जाएगा की क्या लिखा गया है. उन्होंने कहा कि अक्सर थानों में मुकदमा दर्ज करने को लेकर आनाकानी के पीछे भ्रष्टाचार की मंशा होती है. कई बार राजनैतिक दबाव के कारण मुकदमा दर्ज करने में देरी होती है. या कई बार घटना को तहरीर के बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जाता है, बावजूद इसके थानाध्यक्ष मुकदमा दर्ज करने से मना नहीं कर सकते.
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एडीजी प्रेम प्रकाश ने कहा कि तमाम प्रयासों के बाद यदि थाने में पीड़ित की एफआईआर दर्ज नहीं की जाती तो पीड़ित को परेशान होने की जरूरत नहीं है वह अपने तहरीर की कॉपी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को डाक रजिस्ट्री के माध्यम से भेज सकता है. मामले के संबंध में स्वयं जांच करा कर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि तहरीर देते समय पीड़ित को कोशिश करनी चाहिए कि वह तथ्यों और समय को सही लिखे. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि एसएसपी को तहरीर देने के बाद यदि मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत कोर्ट से मुकदमा दर्ज करा सकते हैं. एफआईआर दर्ज कराने को लेकर एडीजी प्रेम प्रकाश की इस पहल और सुझाव की लोगों द्वारा खूब सराहना की जा रही है.