गोरखपुर के शिवालयों में सुबह से लगी रही भक्तों की भीड़, हर हर महादेव की जयकारे से गूंजा नाथ नगरी
आज सावन की पहली सोमवार है. गोरखपुर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी रही. शिव भक्त शिवालयों और घरों पर रुद्राभिषेक करा रहे हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है.
गोरखपुर. आज सावन मास का पहला सोमवार है. सोमवार की भोर से ही गोरखपुर के शिवालयों में हर हर महादेव, ओम नमः शिवाय के जयकारे गूंज रहे हैं. सुबह से ही भक्तों की भीड़ शिव मंदिरों में देखने को मिल रही है.
शिवभक्तों ने शिवलिंग पर जल, दूध, भांग, धतूरा, बेलपत्र, अक्षत, चंदन आदि चढ़ाकर भगवान भोले शंकर की विधि विधान से पूजा अर्चन कर रहे हैं और मनवांछित फल की कामना कर रहे हैं. वहीं श्रद्धालु शिवलिंग के पास स्थित नंदी के कान में अपनी मनोकामना भी कह रहे हैं.
वहीं आज सोमवार को लोग शिवालयों और घरों पर रुद्राभिषेक करा रहे हैं. बीते सप्ताह बुधवार से सावन माह प्रारंभ हो गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग शिवलिंग की पूजा करते हैं.
भगवान से भी भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए लोग काफी संख्या में दूसरे प्रदेश में स्थित देव स्थानों पर जाते हैं. गोरखपुर महानगर के राजघाट क्षेत्र स्थित मुक्तेश्वर नाथ मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी लाइन लगी हुई है. श्रद्धालु हर हर महादेव, ॐ नमः शिवाय के जयकारे लगा रहे हैं.
मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ इस कदर रही की दोपहर तक भक्तों की पूजा का क्रम चलता रहा. भक्तों ने जलाभिषेक के साथ शिवपाठ भी किया. शिवालयों में महिला, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग सभी लाइन लगाकर जलाभिषेक करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. जिला प्रशासन द्वारा सावन के सोमवार को दृष्टिगत रखते हुए सफाई और सुरक्षा की व्यवस्था की गई है.
नगर निगम की टीम सुबह से शिवालय के पास साफ सफाई में जुटी हुई थी. वहीं भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से भरपूर मात्रा में फोर्स लगाई गई है. मंदिरों में भक्तों के आने का सिलसिला शाम तक चलता रहेगा. ऐसा ही नजारा गोरखपुर के झारखंडी मंदिर, मंजेश्वर नाथ मंदिर सहित सभी मंदिरों में दिखी. सावन के सोमवार को देखते हुए दुकानदारों ने भी सुबह से अपनी दुकान लगा दी थी. मंदिर के बाहर ही फूल माला, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, रोली, अक्षत की दुकानें सजी हुई थी.
रिपोर्ट- कुमार प्रदीप, गोरखपुर