Agra News: आगरा में कोरोना संक्रमण के चलते पैरोल पर छोड़े गए बंदी वापस जेल नहीं पहुंचे. पैरोल खत्म होने के बावजूद वह अपने घर में रुके हुए थे. ऐसे में पुलिस ने ऐसे लोगों की तलाश शुरू कर दी. न्यू आगरा पुलिस ने शनिवार रात को ऐसे 4 बंदियों को गिरफ्तार किया है और रविवार को चारों बंदियों को जेल में दाखिल कर दिया. जिला जेल से वर्ष 2020 और 2021 में पैरोल पर कई बंदियों को छोड़ा गया था जो कि वापस नहीं आ रहे थे.
आगरा के जिला जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया के अनुसार पैरोल वाले बंदियों के जेल वापस ना आने की सूचना एसएसपी आगरा को दी गई थी. जिसके बाद एसएसपी ने सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए थे कि जो भी बंदी पैरोल पर छूटकर आए हैं और वापस दाखिल नहीं हुए हैं. उन्हें जल्द से जल्द तलाश कर गिरफ्तार किया जाए और जेल में दाखिल कराया जाए. वहीं थाना न्यू आगरा पुलिस ने शनिवार रात को जगनपुर निवासी बंदी कल्लू उर्फ कुबेर सिंह, हरबीर, नौबत और नगला बूढ़ी निवासी जीतू को गिरफ्तार कर लिया.
थानाध्यक्ष न्यू आगरा अरविंद निरवाल के अनुसार जो चार बंदी पकड़े गए हैं उनसे जब जेल में दाखिल ना होने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कई अलग-अलग कारण बताए. नगला बूढ़ी निवासी जीतू दहेज हत्या के मामले में सात वर्ष की सजा पर है. और डेढ़ वर्ष से जेल में था. 15 मई 2021 को पैरोल पर बाहर आया था और 13 सितंबर 2021 को जेल में दाखिल होना था. जीतू से पूछा गया कि वापस वह जेल क्यों नहीं गया तो उसने बताया कि उसका भाई बेंगलुरु में रहता है. वह जूता फैक्ट्री में काम करता था और उसे लकवा मार गया. इस कारण वह भाई के पास चला गया तो उसे अपने साथ घर लेकर आया और भाई की सेवा में लगा हुआ था.
गांव जगतपुर निवासी बंदी नौबत सिंह का कहना था कि वह कारपेंटर का काम करता है. पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद वह जेल पर पहुंचा था उसने कर्मचारियों से पूछताछ की जेल में कब दाखिल होना है यह भी पूछा, लेकिन जेल के बाहर बंदी रक्षकों ने उसे कोई जानकारी नहीं दी. जिसके बाद में वापस चला आया उसने सोचा कि शायद सरकार ने पैरोल की अवधि बढ़ा दी है. उसी गांव के कल्लू उर्फ कुँवर सिंह ने बताया कि उसके पैर की हड्डी टूट गई थी. जिसकी वजह से वह चल फिर नहीं पा रहा था और इसी वजह से जेल में दाखिल नहीं हो पाया. गांव के हरवीर का कहना था कि उसे पैरोल अवधि समाप्त होने की जानकारी नहीं मिली थी जिसकी वजह से वह भी वापस नहीं पहुंच पाया. इन तीनों को गांव में 25 साल पहले एक खोखे में आगजनी के मामले में साढे 3 साल की सजा हुई थी.