Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में एक चार महीने के बच्चे की बंदरों ने जान ले ली. मगर, इसके बाद भी सरकारी तंत्र नहीं जाग रहा है. बंदरों को पकड़ने के बजाय नियमों को गिना रहा है.इससे ग्रामीण काफी खफा हैं. उन्होंने खुद बंदरों को पकड़ने का फैसला लिया है. बरेली के दुनका गांव निवासी किसान निर्देश उपाध्याय शुक्रवार की शाम गर्मी अधिक होने के कारण अपने चार माह के बेटे और पत्नी स्वाती के साथ छत पर टहल रहे थे. अचानक बंदरों का झुंड छत पर आया, तो उन्होंने आवाज लगाकर भगाने का प्रयास किया.
इस पर पत्नी स्वाती बंदरों के हमले से बचने को नीचे भाग गई, लेकिन इतने में कुछ बंदरों ने निर्देश को घेर लिया.उन्होंने कई जगह दांत मारे. इसलिए वह भी सीढ़ियों की तरफ भागे और बच्चा गोद से गिर गया. उन्होंने बताया कि इतने में एक बंदर ने झपटकर बच्चे को उठा कर उछाल दिया और बच्चा तीसरी मंजिल से नीचे गिर गया. इससे बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई थी. इससे पहले यूपी के लखनऊ में एक पिटबुल कुत्ते ने अपनी मकान मालकिन की नोंच-नोंचकर हत्या कर दी थी. यह घटना शांत नहीं हुई. इससे पहले ही बंदरों ने मासूम की जान ले ली.
बरेली के मुख्य वनसंरक्षक ललित वर्मा ने घटना की जानकारी के बाद वन विभाग की की टीम भेजकर जांच करवाने का फैसला लिया है. यह टीम जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी. इस मामले में एसडीएम मीरगंज ने राजस्व टीम को भेजकर स्थिति का आंकलन कराने की बात कही है. मगर, टीम नहीं पहुंची है.
निर्देश के घर सात साल बाद दूसरे बेटे ने जन्म लिया था.इससे काफी खुशियां थीं. नामकरण की तैयारी चल रही थी.नामकरण संस्कार के लिए तारीख भी तय हो रही थी, लेकिन एक पल में सारी खुशियां मातम में बदल गई. बंदर इससे पूर्व गौरव की बेटी अंजलि ,मुनीश की बेटी सृष्टि, पूनम ,शुभम,सौभ्या आदि पर भी हमला कर काट चुके हैं.
शहर में बंदरों का आतंक था. जिसके चलते नगर निगम ने करीब दो वर्ष पहले शहर से एक हजार बंदर पकड़ने की अनुमति वन विभाग से मांगी थी. वन विभाग से 500-500 बंदर दो बार में पकड़ने की अनुमति दी इसके बाद नगर निगम ने टेंडर किए. बदायूं की एक एजेंसी को बंदर पकड़ने का काम दिया गया, लेकिन बंदरों को पकड़ना शुरू किया, तो सांसद मेनका गांधी की संस्था पीपुल फार एनीमल (पीएफए) के पदाधिकारियों ने विरोध कर दिया. उन्होंने एजेंसी संचालकों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करा दी. इसलिए एजेंसी बीच में ही काम छोड़कर चली गई.इसके बाद से निगम में किसी एजेंसी ने ठेका नहीं लिया.
शहर से लेकर देहात तक बंदर और कुत्ते काफी लोगों की जान ले चुके हैं. मगर, इनको पकड़ने के काफी नियम हैं. इन्हीं नियमों में बंदर -कुत्ते पकड़ने का काम फंस गया है. अफसर नियमों के चक्कर में बंदर पकड़ने से बच रहे हैं.
बंदर पकड़ने के बाद जिस जंगल में बंदरों को छोड़ा जाएगा,तो वहां की स्थिति से भी अवगत कराते हुए आवेदन वन विभाग को किया जाएगा. जिले से उस आवेदन को चीफ वाइल्ड वार्डन लखनऊ को भेजेंगे. इसके बाद वहां से अनुमति मिलने के बाद बंदरों को पकड़ा जाएगा. इसमें बंदरों को प्रताड़ित न करने के भी निर्देश हैं. एक-दो की संख्या में नहीं पूरे समूह को पकड़ेंगे. भोजन-पानी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए. पर्याप्त साइज के पिंजरे हों. वन विभाग का प्रतिनिधि, वन्य जीव के क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रतिष्ठित संस्था का सदस्य का उपलब्ध होना जरुरी है. बंदरों को पकड़ने के बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर रिपोर्ट शासन को भेजेंगे.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद