Uttarkashi Tunnel Collapse: इस दिन 41 मजदूरों की वापसी पक्की! ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञ ने बताया

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ध्वस्त सिल्कयारा सुरंग के मलबे में अभी तक 41 मजदूर फंसे हुए है. उन्हें बचाने के लिए कई एजेंसियां लगी हुई है. लेकिन करीब 13 से 14 दिन के बाद भी अभी तक उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका है. हालांकि, सुरंग के समानांतर ही एक अन्य सुरंग बनाकर उन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है.

By Aditya kumar | November 26, 2023 1:55 PM
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Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ध्वस्त सिल्कयारा सुरंग के मलबे में अभी तक 41 मजदूर फंसे हुए है. उन्हें बचाने के लिए कई एजेंसी लगी हुई है. लेकिन करीब 13 से 14 दिन के बाद भी अभी तक उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका है. हालांकि, सुरंग के समानांतर ही एक अन्य सुरंग बनाकर उन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, अब उन्हें निकालने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अभी फिलहाल 10 से 12 मीटर की ड्रिलिंग बची हुई है जिसे करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. ऐसे में अब सबके मन में एक ही सवाल है कि सुरंग में फंसे मजदूर कब तक बाहर निकलेंगे. इसे लएकर बचाव कार्य में लगे एक अधिकारी ने बयान दिया है और बताया है कि कब तक सभी को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा.

ऑपरेशन में लंबा समय लग सकता है!

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने धैर्य की सलाह देते हुए दिल्ली में कहा, “इस ऑपरेशन में लंबा समय लग सकता है.” वहीं, आपदा स्थल पर अंतर्राष्ट्रीय सुरंग सलाहकार अर्नोल्ड डिक्स ने “क्रिसमस तक” श्रमिकों को बाहर निकालने का अपना वादा दोहराया. अभी की स्थिति बता दें कि अगर हाथ से ड्रिलिंग की गई तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

प्लाज्मा मशीन मंगाई गई

उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 14 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान में इस्तेमाल की रही ऑगर मशीन के मलबे में फंसे हिस्सों को काटकर हटाने के लिए हैदराबाद से हवाई मार्ग के जरिए एक प्लाज्मा मशीन मंगाई गई है. बचाव कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है. श्रमिकों को बाहर निकालने का मार्ग तैयार करने के लिए मलबे में हाथ से ड्रिलिंग के जरिए पाइप डालने होंगे.

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क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे!

शनिवार को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने उम्मीद जताई कि पिछले 13 दिन से फंसे 41 श्रमिक अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे. शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ‘ड्रिलिंग’ का काम बाधित रहा, हालांकि समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने संवाददाताओं को बताया कि ऑगर मशीन ‘‘खराब’’ हो गई है. आपदा स्थल पर आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ डिक्स ने पत्रकारों से कहा, ”ऑगर मशीन का ब्लेड टूट गया है, क्षतिग्रस्त हो गया है.”

‘सभी 41 लोग सुरक्षित लौटेंगे’

श्रमिकों के सुरक्षित होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ” ऑगर मशीन को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए हम अपने काम करने के तरीके पर पुनर्विचार कर रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि सभी 41 लोग लौटेंगे.” जब डिक्स से इस संबंध में समयसीमा बताने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा वादा किया है कि वे क्रिसमस तक घर आ जाएंगे.’’ दरअसल, बहुएजेंसियों के बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया – मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’.

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हाथ से होगी आगे की ड्रिलिंग!

वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से कहा, ‘‘इस अभियान में लंबा समय लग सकता है.’’ हाथ से ‘ड्रिलिंग’ (मैनुअल ड्रिलिंग) के तहत श्रमिक बचाव मार्ग के अब तक खोदे गए 47-मीटर हिस्से में प्रवेश कर एक सीमित स्थान पर अल्प अवधि के लिए ‘ड्रिलिंग’ करेगा और उसके बाहर आने पर दूसरा इस काम में जुटेगा.

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