Loading election data...

Uttarkashi Tunnel Collapse: ‘एक बार सुरंग से बाहर आ जाए फिर…’, टनल में फंसे बेटे के लिए छलका पिता का दर्द

Uttarkashi Tunnel Collapse: मंजीत के पिता ने कहा कि कहा, 'मेरा पुत्र ठीक है . बचाव कार्यों में देरी की वजह से मैं थोड़ा चिंतित हूं . आज मैंने उसे बताया कि यह एक युद्ध है लेकिन उसे डरना नहीं है . हम जल्दी ही सफल होंगे.

By Agency | November 26, 2023 7:59 PM
an image

Uttarkashi Tunnel Collapse: पिछले दो सप्ताह से अन्य 40 श्रमिकों के साथ सिलक्यारा सुरंग में फंसे अपने पुत्र के सुरक्षित निकलने का इंतजार कर रहे चौधरी ने रविवार को कहा कि एक बार वह बाहर आ जाए तो वह फिर उसे यहां कभी काम नहीं करने देंगे . इससे पहले मुंबई में हुई एक दुर्घटना में अपने एक पुत्र को गंवा चुके उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के खेतिहर मजदूर चौधरी फिलहाल अपने दूसरे पुत्र की सुरक्षित वापसी के इंतजार में बेचैनी से समय गुजार रहे हैं.

कभी सुरंग में नहीं करने देंगे काम- मंजीत के पिता

बचाव कार्य की धीमी गति के बीच उन्होंने कहा कि मंजीत मेरा अकेला पुत्र है. अगर उसे कुछ हो गया तो मैं और मेरी पत्नी कैसे जीएंगे. बाइस साल का मंजीत उन 41 श्रमिकों में शामिल है जो 12 नवंबर को चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढह जाने से उसमें फंस गए हैं. सुरंग के ढहने के दूसरे दिन घटनास्थल पर पहुंच गए मंजीत के पिता ने उससे रविवार को यहां छह इंच के पाइप के जरिए स्थापित संचार माध्यम से बातचीत की.

बचाव में देरी से हूं चिंतित- मंजीत के पिता

मंजीत के पिता ने कहा कि कहा, ‘मेरा पुत्र ठीक है . बचाव कार्यों में देरी की वजह से मैं थोड़ा चिंतित हूं . आज मैंने उसे बताया कि यह एक युद्ध है लेकिन उसे डरना नहीं है . हम जल्दी ही सफल होंगे. चौधरी ने कहा, ‘हम बहुत गरीब हैं और पत्नी के गहने गिरवी रख 9000 रुपये का ऋण लेकर यहां आए थे . यहां प्रशासन ने मुझे एक जैकेट और जूते दिए और मेरा ऋण भी चुका दिया.

परिजनों से कराई जा रही है बातचीत

प्रशासन ने यहां सुरंग के बाहर फंसे हुए श्रमिकों के परिजनों के लिए एक शिविर स्थापित किया है . उनकी हर दिन सुरंग में फंसे अपने परिजनों से बात भी कराई जा रही है. अमेरिकी ऑगर मशीन के खराब हो जाने के कारण फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए मलबे में रास्ता बनाए जाने वास्ते की जा रही ड्रिलिंग रूक गयी थी. मलबे में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को काटने के लिए हैदराबाद से लाए गए प्लाज्मा कटर तथा चंडीगढ़ से लाए गए लेजर कटर की मदद ली जा रही है.

जल्द रेस्क्यू की उम्मीद

गौरतलब है कि उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में बीते 14 दिनों से फंसे मजदूरों को जल्द रेस्क्यू की उम्मीद है, लेकिन उनकी इंतजार हर दिन के साथ और लंबा होता जा रहा है. मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन नाकाम हो गई है. खुदाई के दौरान कई बार तकनीकी कमी के कारण ड्रिलिंग रोक देनी पड़ी, इसके बाद ऑगर मशीन के ब्लेड ही फंस गये, जो अगल से परेशानी का सबब बन गया है. अब ऑगर मशीन के मलबे में फंसे हिस्सों को काटकर हटाने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा मशीन मंगाई गई है.

Also Read: उत्तराखंडः रेस्क्यू में लग सकता है एक महीने का समय, श्रमिकों को मिले मोबाइल और बोर्ड गेम, जानिए अपडेट

Exit mobile version