Lata Mangeshkar Death: सुरों की साम्राज्ञी होने के साथ ही स्वर कोकिला लता मंगेशकर बेहद सौम्य व सरलता से भरी हुई थीं. उनके प्रेम और स्नेह की चादर कईयों ने ओढ़ी थी. उनका स्नेह पाने वालों में एक नाम बनारस में साड़ियों के निर्माता व व्यापारी अरमान का भी शामिल हैं.
लता मंगेशकर के निधन से शोकाकुल होकर अरमान बताते हैं कि 2015 में जब लता मां के भाई हृदयनाथ मंगेशकर अपनी काशी यात्रा पर आए थे, उस वक्त वे हमारी दुकान पर साड़ियां खरीदने आये थे. उसी वक्त फोन पर लता मां से बात कराई थी. उसके बाद मैं साड़ी लेकर मुंबई प्रभाकुंज उनके आवास पर गया था. उसके बाद हर वर्ष मैं साड़ियां लेकर उनके पास 3 से 4 बार जाया करता था.
अरमान ने कहा कि इतना स्नेह अपनापन उनसे मिलता था कि कब मां-बेटे का रिश्ता जुड़ गया पता ही नहीं चला. अक्सर पूरे परिवार से उनकी बातचीत होती थी, और तीज-त्योहारों पर वह उन्हें व उनके परिवार के लोगों को कपड़े-उपहार भेजती रहती थीं. ईद बकरीद, होली, दीवाली, नववर्ष हर अवसर पर बातचीत होती थी. आज उनके निधन का समाचार सुनकर पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है. उनके भेजे उपहार के स्वरूप में हमेशा उनका आशीर्वाद हमारे साथ रहेगा.
कुछ ऑडियो क्लिप प्रभात खबर को अरमान से प्राप्त हुए, जिनमें वह लता मंगेशकर से बातचीत के दौरान उन्हें मां कहकर संबोधित कर रहे हैं. अपने परिवार और पोता-पोती को आशीर्वाद देने की मनुहार करते अरमान लता मंगेशकर से उनके कुशल स्वास्थ्य की कामना कर रहे हैं. एक ऑडियो क्लिप में ईद मुबारक को लेकर बातचीत कर रहे हैं.
लता मंगेशकर अरमान के पूरे परिवार का कुशलक्षेम पूछते हुए उन्हें ईद मुबारक दे रही हैं. कोरोनाकाल के दौरान की हुई इस बातचीत में वह महामारी को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए गरीबों की व्यथा प्रकट कर रही हैं. अपने स्वास्थ्य को लेकर भी बातचीत में कहती हैं कि आप सब की दुआओं का असर है कि मैं जल्दी स्वस्थ्य हो गई.
अरमान याद करते हुए कहते हैं कि लता मंगेशकर बुशरा-हमजा दोनों पोतों को उनके जन्मदिन के अवसर पर हमेशा आशीर्वाद देती थीं और कपड़े भिजवाती थीं. बच्चे और परिवार के सभी लोग हमेशा लता मां से खास अवसर पर फोन पर बातचीत करते हुए आशीर्वाद लेते थे. वे भी हमारे परिवार को अपना परिवार मानते हुए प्रेम स्नेह और आशीर्वाद लुटाती थीं.
अरमान ने बताया कि लता जी को इन सात वर्षाें में लगभग 100 साड़ियां भेज चुके हैं. इन साड़ियों में से कुछ वे स्वयं के लिए मंगवाती थीं तो कुछ दूसरों को उपहार स्वरूप देने के लिए. इनके बदले लता दी के दिए गए चेकों को कभी भुनाया नहीं, बल्कि लेमिनेशन कराकर उनकी निशानी मान सुरक्षित रख लिया है. अरमान की पत्नी ने उनकी दी हुई घड़ी को बकायदा उसी तरह केस में अभी तक सुरक्षित ही रखा है, जबकि अपने हाथों में पहनी घड़ी को दिखाते हुए अरमान बताते हैं कि वे खुद को मिली घड़ी लगाते हैं.
अरमान बताते हैं कि मुझे याद है कि कोरोनकाल में जब व्यापार में मंदी चल रही थी तो लता मंगेशकर ने कुशलक्षेम पूछा था. उन्हें उस वक्त हमारी फिक्र थी. हम ठीक हैं या नहीं. हमेशा प्रेम स्नेह देती थी. कोरोनकाल में यूपी में योगी आदित्यनाथ द्वारा किये जा रहे बेहतर कार्यो को लेकर जब उनसे प्रशंसा पत्र का अनुरोध किया तो उन्होंने तुरन्त कहा कि जैसे ही वे स्वस्थ्य होती हैं, जरूर शुभकामना संदेश देंगी. मैंने कई बार बातचीत के दौरान लता मां से काशी चलने का आग्रह किया, वह भी चाहती थीं. मगर अपने स्वास्थ्य को देखते हुए वह काशी न आ सकीं. बोलीं, व्हील चेयर पर बैठकर जाना उन्हें पसंद नहीं.
अरमान ने बीती 20 जनवरी को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में लता मंगेशकर के उत्तम स्वास्थ्य के लिए उनके नाम से बाबा का अभिषेक भी करवाया था. अब उनके निधन की खबर सुनकर पूरा परिवार शोकाकुल है. सुबह से ही लोगों का फोन उनके यहां आ रहे हैं. अरमान मुंबई भी लता मंगेशकर के अंतिम दर्शनों के लिए जाना चाहते थे, मगर उनके निजी सहायक से बात हुई तो उन्होंने कहा कि कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए बहुत कम लोगों को बुलाया गया है. इसलिए उनका आना उचित नहीं है. अरमान अपने पूरे परिवार के साथ शाम में दुआख्वानी करते हुए फातिहा पढ़ेंगे.
फोटो रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी