वाराणसी के इस स्कूल में महादेव नहीं इंद्रदेव की मेहरबानी से पढ़ाई, बिना छत वाली स्मार्ट क्लास देखी है?
सरकार के दावे और हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर दिखता है. वाराणसी जिले के ग्रमीण अंचल में स्कूलों की हालत क्या है? उसकी हकीकत तसवीरें बयां कर रही हैं.
Varanasi News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूल को ‘कायाकल्प’ अभियान चलाकर स्मार्ट बनाने का दावा किया था. सभी स्कूलों में चमकती टॉयलेट से लेकर क्लास को स्मार्ट बनाने की बात कही गई थी. लेकिन, सरकार के दावे और हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर दिखता है. वाराणसी जिले के ग्रमीण अंचल में स्कूलों की हालत क्या है? उसकी हकीकत तसवीरें बयां कर रही हैं.
बनारस का बेसिक शिक्षा विभाग जहां स्मार्ट स्कूल और अत्याधुनिक स्मार्ट क्लासेज पर इतराता है तो कई पुराने, तो कई भवन विहीन स्कूल सुंदरता पर पैबंद लगा रहे हैं. चोलापुर ब्लॉक 6 में स्कूल है, जहां एक साल से बच्चे खुली छत के नीचे पढ़ रहे हैं. दिसंबर 2020 में गिराया गया भवन एक साल बाद भी बनकर तैयार नहीं हो सका. इस कारण बच्चे स्कूल में खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं.
चोलापुर के जगदीशपुर स्थित मुरली स्कूल में गांव के 80 बच्चे पढ़ते हैं. स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए चार सहायक अध्यापक और दो शिक्षा मित्रों की तैनाती है. गांव के बच्चों के अभिवावकों ने बताया है कि बारिश के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. कोरोना संकट के टलने के बाद अगस्त में स्कूल खुल चुके हैं.
खुली छत के नीचे बच्चों के पढ़ने को लेकर हमने जब बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि स्कूल पुराना था और खंडहर हो गया था. सर्वे के बाद स्कूल भवन को ध्वस्त किया गया. नए भवन के प्रस्ताव भेजा गया है. प्रस्ताव पास होने के बाद समस्या का समाधान हो जाएगा.
(रिपोर्ट:- विपिन सिंह, वाराणसी)
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