Varanasi News: वाराणसी में व्यपारियों और महिलाओं से फर्जी पुलिसकर्मी बनकर लूट और टप्पेबाजी करने वाले ईरानी गैंग के शरणदाताओं पर भी वाराणसी की कमिश्नरेट पुलिस कार्रवाई करने की तैयारी में है. वाराणसी क्राइम ब्रांच की दो टीम को ईरानी गैंग की पूरी कर्म कुंडली खगालने के लिए लगाया है. इसके लिए मध्य प्रदेश के भोपाल आईजी को भी वाराणसी कमिश्नर ने पत्र लिखा है.
वाराणसी में कुछ समय से फर्जी पुलिसकर्मी बनकर जांच के नाम पर लूट और टप्पेबाजी की घटना लगातार हो रही थी. पुलिस को घटना के बाद पीड़ित द्वारा यह जानकारी मिलती रही कि पुलिस वाले रोककर जांच करने के नाम पर पैसा या महिलाओं से जेवर उतरवा कर निकल जाते हैं. पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश ने फर्जी पुलिसकर्मी बनकर लूट करने और टप्पेबाजी करने वालों के गिरोह का खुलासा करने की जिम्मेदारी सर्विलांस प्रभारी अंजनी कुमार पांडेय को सौंपी.
सर्विलांस प्रभारी अंजनी कुमार पांडेय ने यूपी के सटे राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ को-आर्डिनेट कर वाराणसी पुलिस टीम ने काम करना शुरू किया. पुलिस टीम ने ईरानी गैंग के एक-एक करके 10 बदमाशों को देश के अलग-अलग हिस्से से पकड़ा. वाराणसी क्राइम ब्रांच पुलिस की टीम जेल में बंद 10 ईरानी गैंग के आरोपियों से जुड़े मोबाइल नंबर और उनके संपर्क को खंगाल रही है. पुलिस की टीम को कुछ शरणदाताओं के नाम भी सामने आए हैं. ईरानी गैंग से जुड़े लोगों कि पूरी कुंडली निकालने के बाद आगे की कार्रवाई करेगी. कई शहरों के अधिकारियों से संपर्क भी किया जा रहा है ताकि इस पूरे कनेक्शन को खत्म किया जा सके.
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गिरफ्तार हुए ईरानी गैंग की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. वाराणसी कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया की करीब 400 साल पहले ईरान से शिया मुसलमान घोड़े का व्यापार करने के लिए भारत के मध्यप्रदेश के भोपाल आए और सभी यही बस गए. धीरे-धीरे इनका कुनबा बढ़ा और देश के कई राज्यों में फैलता गया. राजस्थान, आंध्रा प्रदेश, कर्नाटक, लखनऊ, हरदोई, बिहार, मध्यप्रदेश के भोपाल तक ईरानियों का परिवार बस गए.
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ईरानी लोग शादी भी अपने ही समुदाय के लोगों के साथ करते हैं. शादी के बाद एक दूसरे का परिवार में आना जाना लगा रहता है. ईरानी मूल के होने के कारण इन परिवारों के अधिकांश युवक काफी गोरे चिट्टे होते है. युवकों की कद काठी भी काफी अच्छी होती है. ईरानी युवकों ने करीब 15 साल पहले लूट और टप्पेबाजी की घटनाओं को अंजाम देने की ठानी. इन लोगों ने परंपरागत तरीके को छोड़कर पुलिस वाला और एसटीएफ अधिकारी या सीबीआई कर्मचारी बताकर घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया.
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ईरानी गैंग के लोग एक समूह बनाकर 7 से 8 लोग शहर में जाते हैं. घटना को अंजाम देने के बाद एक से दो घंटे में उस शहर से निकल जाते है. गैंग के लोग एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए कार का इस्तेमाल करते है. गैंग का मुखिया हवाई यात्रा करता है. ईरानी गैंग के बदमाश जिस शहर में घटना को अंजाम देना होता है वहा पहुंच कर पहले उस इलाके की रेकी करते हैं. घटना के बाद निकलने का शॉर्टकट रास्ता देखते हैं. शहर में घूमकर खुद टारगेट सेट करते हैं और घटना को अंजाम देने के बाद शहर से निकल जाते है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार घटना होने के बाद 1 या दो घंटे लेट होने पर इस गैंग को पकड़ना बहुत मुश्किल है.
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वाराणसी गाजीपुर के व्यापारी से 8 लाख की लूट हो या केंट थाना क्षेत्र के अर्दली बाजार मैं महिला से सोने के समान उतरवा कर फरार होने की घटना के बाद पुलिस की टीम ने करीब 450 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को खंगाला गया और सर्विलांस की मदद से इस गैंग की पहचान हुई तब जाकर इनकी गिरफ्तारी हो सकी. वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने बताया की ईरानी गैंग का मध्यप्रदेश और यूपी में लखनऊ के रहने वाले अबू हैदर के गिरोह का दबदबा है. अबू हैदर भोपाल का निवासी है.
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ईरानी गैंग में बाहरी युवकों को नहीं जोड़ा जाता है. ये अपने परिवार के लोगों को जोड़कर घटना को अंजाम देते हैं. ईरानी गैंग में पिता-पुत्र और चाचा-भतीजा मिलकर लूट की घटना को अंजाम देते हैं. इस बार हम आस-पास के सभी राज्यों की पुलिस से संपर्क कर इस गिरोह की पूरी कुंडली बना रहे हैं. इससे इस गिरोह के बारे में उत्तर भारत की पुलिस को आसानी से जानकारी मिल सके.
रिपोर्ट : विपिन सिंह