काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास: मोहम्मद गोरी को मंदिर मिला था अकूत खजाना, ढोने में लगे 1400 ऊंट

Varanasi Kashi Vishwanath Mandir: वाराणसी में श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे और वीडियोग्राफी के विवाद ने क़ई पुराने मामलों को जन्म दे दिया है. उन सभी मान्यताओं और अवधारणाओ पर बहस छिड़ चुकी हैं, जिसमें हमेशा यह दावा किया जाता रहा है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ.

By Prabhat Khabar News Desk | May 9, 2022 6:35 AM

Varanasi Kashi Vishwanath Mandir : वाराणसी में श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे और वीडियोग्राफी के विवाद ने क़ई पुराने मामलों को जन्म दे दिया है. उन सभी मान्यताओं और अवधारणाओ पर बहस छिड़ चुकी हैं, जिसमें हमेशा यह दावा किया जाता रहा है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ. काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद, दोनों के निर्माण और पुनर्निमाण को लेकर कई तरह की धारणाएँ हैं. लेकिन स्पष्ट और पुख़्ता ऐतिहासिक जानकारी काफ़ी कम है और दावों- क़िस्सों की भरमार ज़रूर है.

मोहम्मद गौरी ने किया था बनारस पर पहला हमला

इसपर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ० राजीव श्रीवास्तव ने काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास से लेकर उसके आक्रमण तक के बारे में प्रभात खबर से बातचीत की. उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदुओ के लिए सबसे पवित्रतम स्थान है. अनादिकाल से चल रहा काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण के समय भी विद्वमान था और इसीलिए काशी की महता बढ़ी. लेकिन जबसे मुस्लिम आक्रमणकारियों का हमला शुरू हुआ, तब इस्लाम का क्रूर चेहरा नज़र आया. सबसे पहले 1194 में मोहम्मद गौरी ने बनारस पर हमला किया. इस दौरान बनारस के 500 मंदिरों को तोड़ा गया. काशी विश्वनाथ मन्दिर को भी क्षति पहुचाई गयी.

काशी विश्वनाथ मंदिर में थी अकूत संपत्ति

उस समय यह कहा जाता था कि काशी विश्वनाथ मंदिर और अन्य मंदिरों से इतनी अकूत धन संपति मिली कि मोहम्मद ग़ोरी 1400 ऊंट पर लादकर के उसको गजनी ले गया. उसके बाद जौनपुर के शासक महमूद शाह ने हमला किया. काशी विश्वनाथ मंदिर पर शाहजहां ने भी हमला किया. काशी पर इन सबमे सबसे क्रूरतम हमला इस्लाम के चेहरे के रूप में औरंगजेब ने किया. औरंगजेब ने सबसे पहले अप्रैल 1669 में गवर्नर अबुल हसन को यह हुकुम दिया कि किसी भी कीमत पर काशी विश्वनाथ मंदिर को पुरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया जाए. इसका जिक्र साकिब खा ने यासिर आलम गिरी पुस्तक में किया है और ये बताया कि अगस्त 1669 में काशी विश्वनाथ मंदिर को पुरी तरह से तोड़ दिया गया.

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मंदिर के स्थान पर औंरगजेब ने मस्जिद का निर्माण करा दिया जो आज तक है. वो काशी विश्वनाथ मंदिर का मूल भाग हैं, इसीलिए नन्दी का मुख ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ़ है. दूसरी बात पुरी दुनिया में जितने भी मस्जिद बने हैं, किसी का भी नाम संस्कृत में नहीं है. मगर इसका नाम संस्कृत में है ज्ञानवापी. ज्ञान का मतलब ज्ञान वापी मतलब कुंआ. प्रोफेसर डॉ० राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि बात यदि वहां मस्जिद का था तो चाहे कोई भी शासक हो मन्दिर के बगल में मस्जिद का निर्माण क्यों किया. कुतुबमीनार समेत मथुरा, अयोध्या तक मे मंदिरों को तोड़कर ही मस्जिद बनाया है, लेकिन सबसे घृणित कार्य औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ किया.

जब कोर्ट ने यह आदेश दे दिया था कि सर्वे वीडियोग्राफी कराई जाएगी तो प्रतिवादी पक्ष को क्या आपत्ति है. जिसे भी आपत्ति है उसपर रासुका लगाकर के जेल भेज देना चाहिए. अदालत के आदेश की अवहेलना करने पर हिन्दू- मुस्लिम दंगा भड़काने पर, हिंदुओ के पवित्रतम स्थान पर भावना भड़काने पर इनको जेल भेज देना चाहिए. ये सभी इस्लाम के नाम पर झूठ बोल रहे हैं. प्रोफेसर डॉ० राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया में कही भी देख लीजिए चाहे वो मक्का मदीना हो, ईसाईयों का वेटिकन सिटी हो, सीखो का अमृतसर हो किसी भी धर्म में दूसरे धर्म के लिए जगह नहीं है, तो फिर काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में मस्जिद क्यों बनाई गई.

रिपोर्ट – विपिन सिंह

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