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Varanasi: BHU को लगा 2.44 करोड़ का चूना, अस्पताल में 24 घंटे दवा बेचने वाली कंपनी ने किया बड़ा घोटाला

Varanasi News: मंत्रालय ने स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए बीएचयू को मामले में जांच कमेटी बनाने दोषी कर्मचारियों (वर्तमान और सेवानिवृत्त) से 3 महीने के भीतर रिकवरी समेत अन्य कार्रवाई के आदेश दिए थे. 2021 में गठित कमेटी को 3 महीने में जांच पूरी कर के रिपोर्ट देना था, मगर यह अभी तक लंबित है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 20, 2022 10:58 AM

Varanasi News: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 2 करोड़ 44 लाख के गड़बड़ घोटाले के पता चला है. बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में 24 घंटे दवा की दुकान से संबंधित अनुबंध की शर्ते बदलकर विश्वविद्यालय को 2.44 करोड़ रुपए के नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है. CAG के ऑडिट में पकड़ी गई इस गड़बड़ी पर शिक्षा मंत्रालय ने बीएचयू को जांच का आदेश दिए थे. जुलाई 2021 में गठित जांच कमेटी अब तक रिपोर्ट नहीं दे सकी है. संयुक्त रजिस्ट्रार की तरफ से कमेटी को दी गई 8 जुलाई की मियाद भी बीत चुकी है.

सीएजी की रिपोर्ट पर फरवरी 2019 को बीएचयू ने शिक्षा मंत्रालय को अपनी सफाई पेश की थी. बताया था कि अनुबंध की जांच लीगल सेल के कोआर्डिनेटर ने की थी और तत्कालीन कुलपति इसे स्वीकृति मिली थी. मंत्रालय ने स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए बीएचयू को मामले में जांच कमेटी बनाने दोषी कर्मचारियों वर्तमान और सेवानिवृत्त से 3 महीने के भीतर रिकवरी समेत अन्य कार्रवाई के आदेश दिए थे. 2021 में गठित कमेटी को 3 महीने में जांच पूरी कर के रिपोर्ट देना था, मगर यह अभी तक लंबित है.

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8 जून को संयुक्त रजिस्ट्रार एसपी माथुर ने कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर आसाराम त्रिपाठी को पत्र लिखकर मंत्रालय के निर्देशों का हवाला देते हुए 8 जुलाई तक रिपोर्ट फाइल करने को कहा गया, मगर यह मियाद भी बीत चुकी है. आपको बता दें की 2013 के 2019 के बीच का है. बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में 24 घंटे दवा की दुकान खोलने की निविदाएं मांगी गई. अस्पताल में 24 घंटे दवा की दुकान खोलने निविदा के आधार पर नई दिल्ली के हेल्पलाइन फार्मेसी को चुना. बीएचयू प्रशासन ने 2013 8 मई और 12 जून को कंपनी के पते पर धरोहर राशि जमा करने और प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रिमाइंडर भेजा मगर पत्र बैरक लौटाए डाक विभाग में ऐसी कोई फार्म मौजूद ना होने की तस्दीक की.

तत्कालीन विधि प्रकोष्ठ समन्वयक ने जनहित का हवाला देते हुए दुबारा निविदा करने के बजाय उमंग फार्मा से संपर्क करने की सलाह दी. पहली कंपनी के पीछे हटने पर लखनऊ की उमंग केयर को दुकान आवंटित हुई. 13 अक्टूबर, 2013 से दवा की दुकान का संचालन शुरू हो गया. अनुबंध की शुरआती शर्तो के अनुसार उमंग फार्मा की तरफ से चार प्रतिशत बेरिएबल लाइसेंस फीस बीएचयू को देने का करार हुआ था. मगर शर्तो को बदलाव कर के इसे बिक्री रसीद पर आधारित कर दिया गया. सबसे खास बात ये रही की अनुबंध पत्र में कही भी शर्तो के बदलाव का उल्लेख नहीं है.

बीएचयू प्रशासन ने कही ये बात

इस पूरे प्रकरण में अध्यक्ष जांच कमेटी के प्रो. आशाराम त्रिपाठी ने बताया की जांच कमेटी अपना काम कर रही है. कमेटी के एक सदस्य विदेश दौरे पर गए थे. अब वो विदेश से वापस आ गए है. जल्दी ही जांच पूरी कर के बीएचयू प्रशासन को सिलसिलेवार रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. बीएचयू कुल सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया की पूरे प्रकरण में जांच कमेटी के रिपोर्ट का इंतजार है. कमेटी ने 17 जुलाई से एक हफ्ते का समय मांगा है रिपोर्ट मिलते ही इसमें मंत्रालय को भेज दिया जाएगा.

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