Varanasi News: बनारसी साड़ी पर महंगाई का असर, बिक्री के दाम में होगा 25% का इजाफा

देश में बढ़ती महंगाई का असर अब बनारसी साड़ी पर भी दिखने लगा है. दरअसल, बुनकरों और कारीगरों ने महापंचायत बुलाकर अपनी मजदूरी और कीमत बढ़ाने का फैसला लिया है, ताकि रोजी-रोटी पर संकट न आए.

By Sohit Kumar | November 15, 2021 12:44 PM
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Varanasi News: देशभर में बनारसी साड़ी के लिए मशहूर बनारस नगरी के साड़ी बुनकरों और कारीगरों को पर भी महंगाई का असर दिखने लगा है. बुनकरों और कारीगरों का मानना है कि जिस तरह महंगाई बढ़ रही है, उसको देखते हुए अब वक्त आ गया है कि, बनारसी साड़ियों काे दाम भी बढ़ा दिए जाएं. इसके लिए बुनकरों ने महापंचायत बुलाकर अपनी मजदूरी और कीमत बढ़ाने का फैसला लिया है.

बिक्री के दाम में 25% का इजाफा

महापंचायत में बुनकरों ने मजदूरी में 20% तो स्थानीय और घरेलू बाजार में बनारसी साड़ी और वस्त्रों की बिक्री के दाम में 25% का इजाफा करने का फैसला लिया है. महापंचायत को सफल बनाने के लिए बुनकरों ने अपने करघों को भी बंद रखा.

बुनकरों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति

बनारसी साड़ियों की खूबसूरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. बुनकरों की कड़ी मेहनत के बाद ही यह साड़ी बनकर तैयार होती है. इसमे लगने वाली मेहनत और वक्त के हिसाब से बढ़ती महंगाई ने अब इसके बुनकरों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी है. अब उन्हें इससे मिलने वाले मुनाफ़ा नाम मात्र के लिए ही रह गया है, जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.

बुनकरों को नहीं हो रहा लाभ

बढ़ती महंगाई की वजह बुनकरों को आर्थिक लाभ नहीं हो रहा है. इसके लिए बुनकरों ने महापंचायत बुलाकर साड़ी की कीमत में बढ़ोतरी की बात कही है. यह महापंचायत वाराणसी के नाटी इमली के बुनकर काॅलोनी के बाकराबाद मैदान में मुत्ताहिदा बुनकर बिरादराना तंज़ीम बनारस ने संपन्न कराया.

उघोग को बचाने की कोशिश

इस उघोग को बचाने के लिए पिछले दो माह से कोशिश की जा रही है कि इस पलायन को कैसे रोका जाए, और इस उघोग को कैसे बचाया जाए? जिसके बाद सभी सरदारों ने मिलकर फैसला लिया है कि बुनकरों की मजदूरी को बढ़ाया जाए. दरअसल, सरदारों को न तो सरकार से कोई मदद मिलती हैं , न ही स्थानीय लोगो से इसलिए उन्होंने अपने स्तर पर ही निर्णय लेने का फैसला किया है. बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का संकट उतपन्न हो जाएगा, इसलिए साड़ी के दामों में बढ़ोत्तरी का फैसला लिया गया है.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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