Varanasi News: मोक्ष नगरी वाराणसी में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर शक्ति रूठे हुए बाबा महाश्मशान नाथ जी को मणिकर्णिका घाट पर मनाने आती हैं. बाबा के इस श्रृंगार महोत्सव के मौके पर नगर वधुओं द्वारा भावांजलि प्रस्तुत कर अपने मुक्ति उद्धार के लिए प्रार्थना की जाती हैं. मगर लंबे समय से चली आ रही इस संस्कृति और परंपरा पर खतरा मंडराते दिख रहा है.
दरअसल, मणिकर्णिका घाट पर आयोजित होते आ रहे महाश्मशान नाथ के श्रृंगार महोत्सव स्थल पर लकड़ी व्यापारियों ने अवैध रूप से लकड़ी रख कब्जा कर लिया है, जिसके कारण 378 साल से चली आ रही परम्परा पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं. इसे बचाने के लिए नगर वधुओं ने मणिकर्णिका घाट पर धरना प्रदर्शन करते हुए पीएम मोदी व सीएम योगी से इसे बचाने की गुहार लगाई है.
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सोमवार की शाम मणिकर्णिका घाट पर काशी की नगरवधुएं कार्यक्रम स्थल पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ धरने पर बैठ गईं. नगरवधुएं हाथों में तख्तियां लिए हुईं थीं, जिस पर लिखा था ‘नगरवधुओं की गुहार, पीएम मोदी जी, सीएम योगी जी, बचा लीजिए काशी की प्राचीन परंपरा’.
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दरअसल, चैत्र नवरात्र की सप्तमी तिथि के दिन मणिकर्णिका घाट पर बाबा महाश्मशान नाथ के वार्षिक श्रृंगार का आयोजन सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है. यहां धधकती चिताओं के बीच नगर वधुओं का नृत्य होता है, लेकिन अब बाबा महाश्मशान वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम स्थल पर लकड़ी व्यापारियों ने अवैध रूप से लकड़ी रख कब्जा कर लिया है, जिसके कारण 378 साल से चली आ रही परम्परा पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं.
इस बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए महाश्मशान नाथ सेवा समिति के संरक्षक जंत्रलेश्वर यादव बताते हैं कि राजा मानसिंह द्वारा स्थापित बाबा मसाननाथ के दरबार में कार्यकम पेश करने के लिए उस समय की जानी-मानी नर्तकियों और कलाकारों को बुलाया गया था. चूंकि मंदिर श्मशानघाट के बीचों बीच था, लिहाजा ख्यातिलब्ध कलाकारों ने इनकार कर दिया. राजा ने कार्यक्रम का ऐलान करवा दिया था. अब समस्या यह कि कार्यक्रम कैसे हो? तब नगरवधुओं को आमंत्रित किया गया.
नगरवधुओं ने राजा मानसिंह का निमंत्रण स्वीकार किया और तब से यह परंपरा चली आ रही है, लेकिन यदि इस बार कार्यक्रम स्थल से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो सैकड़ों साल से चली आ रही प्राचीन परंपरा इस बार टूट सकती है.
बाबा महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता ने बताया, बाबा श्मशान नाथ का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव इस बार 6 अप्रैल से शुरू होगा. मगर कार्यक्रम स्थल जहां मंच लगते हैं, वहीं अवैध रूप से लकड़ी रखकर कब्जा जमा लिया गया है, जिसके कारण सैकड़ों साल से चली आ परंपरा टूटने के कगार पर है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी