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Varanasi News: काशी में सिद्धिदात्री देवी के दर्शन को उमड़े भक्त, माता से मांगा सुख और स्वास्थ्य का वरदान

नवरात्रि की नवमी को इनकी पूजा करने से ही नवरात्रि के व्रत को पूर्ण माना जाता है. काशी स्थित सिद्धदात्री माता के मंदिर में गुरुवार की सुबह से ही भक्तों की भीड़ दर्शन-पूजन के लिए उमड़ गई.

Varanasi News: नवरात्रि में नौवें दिन माता सिद्धदात्री के दर्शन का विधान है. माता को यश, विद्या, बुद्धि और बल की देवी के रूप में पूजा जाता है. शिव नगरी वाराणसी में सिद्धिदात्री माता का अति प्राचीन मंदिर मैदागिन गोलघर इलाके के सिद्धमाता गली में स्थित है. माता को सभी सिद्धियों की दात्री कहा जाता है. नवरात्रि की नवमी को इनकी पूजा करने से ही नवरात्रि के व्रत को पूर्ण माना जाता है. काशी स्थित सिद्धदात्री माता के मंदिर में गुरुवार की सुबह से ही भक्तों की भीड़ दर्शन-पूजन के लिए उमड़ गई.

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मैदागिन गोलघर स्थित देवी मां के सिद्धदात्री स्वरूप के दर्शन और पूजन के लिए नवरात्रि में सभी दिन खासकर नवमी को काफी भीड़ होती है. इसी बीच गुरुवार को श्रद्धालु तड़के सुबह से मां सिद्धिदात्री के दर्शन के लिए पहुंचने लगे थे. नवमी को मां के दर्शन के लिए भक्त ना केवल वाराणसी, बल्कि दूरदराज के इलाकों से भी पहुंचे. घंटों इंतजार करने के बाद भक्तों को माता सिद्धिदात्री के दर्शन का मौका मिला.

धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के आठ दिनों में जो भक्त देवी दरबार में हाजिरी नहीं लगा पाते हैं, वो नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री के दर्शन कर लेते हैं तो उनको नवरात्रि व्रत के पूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है. देवी पुराण में भी माता के महत्व का वर्णन है. वाराणसी शिव और शक्ति की भूमि है. यहां पर शिव भगवान की पूजा होती है तो शक्ति स्वरूप माता आदिशक्ति की आराधना करने का भी विशेष रूप से विधान है.

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देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने माता सिद्धमाता की आराधना-तपस्या कर सभी सिद्धियों को प्राप्त किया था. भागवत पुराण में भी लिखा है सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है. यह देवी विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं. माता के चार हाथ हैं, जिनमें मां ने हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं. वहीं, वाराणसी में माता शक्ति की उपासना जारी है. विजयादशमी को भी वाराणसी में शुक्रवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने वाली है.

(रिपोर्ट:- विपिन सिंह, वाराणसी)

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