Varanasi News: शिव नगरी काशी में सांड का आतंक, बुझ गया एक और घर का चिराग, ‘भांग’ पीकर बेसुध नगरपालिका

वाराणसी में आवारा पशुओं से चोटिल हो रहे लोगों की तरफ नगरपालिका का ध्यान नहीं है. आवारा पशुओं से घायल होते राहगीरों की जान की परवाह नगरपालिका को कब होगी? आए दिन ऐसी घटनाओं से बेमौत मरते लोग और बिलखते परिजनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 17, 2021 10:08 PM

Varanasi News: वो कहते थे हम वाराणसी को क्योटो बना देंगे. एक ऐसा क्योटो जिसे आप फिल्मों में ही देखते होंगे. हकीकत में क्योटो बनने का इंतजार कर रहे काशी शहर में सांड के आतंक से लोग खौफ में जी रहे हैं. एक और घर का चिराग सांड के हमले में बुझ गया. पुलिस से लेकर नगरपालिका के अधिकारी सिर्फ बयानों में बिजी हैं. सब एक-दूसरे पर ऊंगली उठाकर अपना काम खत्म समझ रहे हैं.

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वाराणसी में आवारा पशुओं से चोटिल हो रहे लोगों की तरफ नगरपालिका का ध्यान नहीं है. आवारा पशुओं से घायल होते राहगीरों की जान की परवाह नगरपालिका को कब होगी? आए दिन ऐसी घटनाओं से बेमौत मरते लोग और बिलखते परिजनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. रामनगर में एक और युवा सांड के हमले में मारा गया. परिवार के इकलौते पुत्र की मौत के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?

रामनगर निवासी संदीप विश्वकर्मा को बाजार जाते वक्त पशु अस्पताल के पशु लड़ रहे दो पशु में से एक ने हमला कर दिया. सांड ने अचानक हमला करते हुए उसे उठाकर जमीन पर पटक दिया, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और सिर में गंभीर चोट आई. राहगीरों की सूचना पर पुलिस ने घायल संदीप को लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय में भर्ती कराया. चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने संदीप के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है. रामनगर थाना प्रभारी अश्वनी पांडेय ने नगरपालिका को सूचना दी है. पत्र लिखकर भी सचेत किया. लेकिन कोई नतीजा नही निकला.

सांड के हमले से हुई मौत ने रामनगर के परिवार को गहरा आघात दिया है. चार बहनों के एक भाई की मौत ने उन बहनों की राखी के लिए कलाई छीन ली. वो बहनें जिनके लिए हर रक्षाबंधन अपने भाई की लंबी आयु की मन्नत के साथ मनाती थी. संदीप के छोटे भाई विशाल विश्वकर्मा की भी बीते वर्ष बीमारी के कारण मृत्यु हुई थी. चार बहन महिमा, हेमा, करिश्मा और मनीषा का संदीप इकलौता भाई था. घटना के बाद मां मीरा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. संदीप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता था. संदीप के पिता काशी नरेश विश्वकर्मा की पड़ाव पर वेल्डिंग की दुकान है. नगरपालिका आवारा पशुओं को पकड़ने का कोई प्रवाधान नहीं किया है और लोग लगातार इनके शिकार बनते जा रहे हैं.

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नगरपालिका में कैटल कैचर मशीन होने के बावजूद कर्मचारी सांड़ पकड़ने में कोई रुचि नहीं दिखाते. बीते दिनों सांड के हमले से मन्नापुर निवासी छात्र तौसीफ, रामनगर निवासी प्रिया भी गंभीर रूप से घायल हुई थी. संदीप की दर्दनाक मौत ने नगरपालिका को जवाबदेही के कठघरे में खड़ा कर दिया है. संदीप की मौत का कौन गुनहगार है? सांड या नगरपालिका प्रशासन? इसका जवाब कौन देगा?

(रिपोर्ट: विपिन सिंह, वाराणसी)

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