Varanasi 1001 Conch Record: शिव नगरी स्थित श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के अवसर पर एक माह तक चलने वाले कार्यक्रमों के तहत नए वर्ष 2022 के पहले दिन 1001 शंखनाद किया गया. इसके साथ बाबा विश्वनाथ धाम में विश्व रिकॉर्ड बनाया गया. इस कार्यक्रम को प्रयागराज के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) ने आयोजित किया.
इसमें विभिन्न राज्यों की वेश-भूषा का प्रतिनिधित्व करते हुए शंखवादकों की टोलियो में कन्याएं और बटुक समेत कई युवा शामिल हुए. सभी अपने पारंपरिक वेश-भूषा में थे. इसमें पुरुष कुर्ता-पाजामा और धोती-कुर्ता भी पहने थे. महिलाएं साड़ी के साथ ही सलवार-सूट पहनें थी. जैसे ही थोड़ी ही देर में शंखनाद की ध्वनि के साथ आयोजन का शुभारंभ हुआ. सभी शंखवादकों ने 1001 शंख बजाकर बाबा विश्वनाथ धाम से पूरे विश्व के लिए मंगलकामना की.
हिंदू धर्मग्रंथों में जिक्र है कि शंख की गूंज जितनी दूर तक जाती है, वहां शोक, पाप और संताप खत्म हो जाता है. सभी दुखों का नाश होता है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय आयुर्वेद संकाय के प्रो. अजय कुमार पांडेय बताते हैं कि शंखनाद करने से शरीर और मन पर बहुत जबरदस्त प्रभाव पड़ता है.
शंख वादन से शरीर के अंदर ही नहीं आसपास की प्रकृति और पूरा माहौल बदल जाता है. इसके नाद से ना केवल आपका फेफड़ा, दैहिक विकास की सबसे छोटी इकाई कोशिकाओं तक शंखवादन का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
दूसरी बड़ी चीज कि आप अपने प्रति केंद्रित हो जाते हैं. अपना पराया भूलकर सब ईश्वर को सौंप देते हैं. शंख बजाने और सुनने दोनों का मन केंद्रित होता है. आंख बंदकर अच्छी चीजें सोचते हैं. यह शंखनाद भले ही 1001 लोगों का हो, मगर इसकी आवाज जहां जाती है, वहां तक इसका एकसमान लाभ लोगों को मिलता है.
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