ज्ञानवापी विवाद: काशी के संत ने किया बड़ा ऐलान, ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग का करेंगे जलाभिषेक

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब काशी के संत शंकराचार्य स्वरूपानंद के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ा ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारी सतर्क हो गए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 3, 2022 6:51 AM
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Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब काशी के संत शंकराचार्य स्वरूपानंद के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि कथित शिवलिंग का 4 जून को जलाभिषेक किया जाएगा. विद्या मठ केदारघाट में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह घोषणा की. अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मेरे गुरु शंकराचार्य का आदेश हुआ है कि वहां भगवान शिव प्रकट हो गए हैं तो उनकी पूजा होनी चाहिए, इसके लिए न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा नहीं किया जा सकता. इस एलान के बाद से जिला प्रशासन में भी हड़कंप मच गया है.

बता दें कि ज्ञानवपी मस्जिद के वजूखाने को, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है, उसे न्यायालय ने सील करवाया है. उक्त स्थल पर किसी को भी जाने की मनाही है. संत शकंराचार्य के इस ऐलान के बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारी सतर्क हो गए हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जैसे ही कोई भगवान प्रकट होते हैं उनकी स्तुति होती हैं. जैसे ही कौशल्या माता के सामने भगवान श्री राम प्रकट हुए तो देवी कौशल्या ने उनकी स्तुति की. जहां-जहां भगवान प्रकट हुए है, उनकी स्तुति की गई हैं. इसी प्रकार ज्ञानवापी मस्जिद में भी जैसे ही स्वयम्भू शिवलिंग प्रकट हुआ है और लोग उनकी भी स्तुति करना चाह रहे है.

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि पूर्व महन्त कुलपति तिवारी सहित अन्य लोगो ने भी न्यायलय में अर्जी लगाई की भगवान प्रकट हुए हैं, इनकी पूजा अराधना करने का अवसर हमें दिया जाए. जैसे हम प्राणधारी है तो हमे भी भोजन पानी की आवश्यकता महसूस होती हैं. उसी प्रकार हम अपने सभी देवता के सामने भोग की थाली रखते है और सुबह -शाम पूजा अराधना करते हैं. उहोंने कहा कि हमने इंटरनेट पर मुग़लों की बनवाई इमारतों के अनेक फव्वारों को देखा पर एक भी शिवलिंग की डिजाइन का नहीं मिला.अब बड़ा प्रश्न उठता है कि आखिर काशी में शिवलिंग के आकार का फ़व्वारा कैसे बना.

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