Varuthini Ekadashi 2020 : वरुथिनी एकादशी कल, जानें व्रत विधि व शुभ-मुहूर्त
varuthini ekadashi 2020 : हिंदू धर्म में एकादशी का काफी ज्यादा महत्व रहता है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है.हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं. यह तिथि मास में दो बार आती है. एक पूर्णिमा के बाद और दुसरी अमावस्या के बाद. पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है. दोनो एकादशी की अपनी महत्ता है. वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के रुप में मनाई जाती है. इस साल 2020 में वरुथिनी एकादशी कल 18 अप्रैल शनिवार के दिन मनाई जाएगी.माना जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.पद्मपुराणमें भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी वरुथिनी के नाम से प्रसिद्ध है.यह इस पृथ्वी लोक के साथ-साथ परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करने वाली एकादशी है. इस व्रत से सबको भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
varuthini ekadashi 2020 : हिंदू धर्म में एकादशी का काफी ज्यादा महत्व रहता है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है.हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं. यह तिथि मास में दो बार आती है. एक पूर्णिमा के बाद और दुसरी अमावस्या के बाद. पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है. दोनो एकादशी की अपनी महत्ता है. वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के रुप में मनाई जाती है. इस साल 2020 में वरुथिनी एकादशी कल 18 अप्रैल शनिवार के दिन मनाई जाएगी.माना जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.पद्मपुराणमें भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी वरुथिनी के नाम से प्रसिद्ध है.यह इस पृथ्वी लोक के साथ-साथ परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करने वाली एकादशी है. इस व्रत से सबको भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
वरुथिनी एकादशी व्रत -विधि :
– वरुथिनी एकादशी के दिन व्रती को प्रात:काल में जल्दी उठना चाहिए.
– स्नानादि के बाद भगवान विष्णु की पूजा आज करें.
– आज भगवान मधुसूदन और विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा की पूजा करें.
– अपने घर के पूजा स्थल पर भगवान विष्णु के साथ आज माता लक्ष्मी व कुबेर देवता की भी पूजा करें.
– आज निराहार रहें या फलाहार का ही सेवन करें.
– विष्णु सहस्रनाम का आज जाप करें.
– पूजा संपन्न करने के बाद व्रत की कथा जरुर सुनें.
– आज रात को जागरण कर भगवान का सुमिरन करें.
– व्रत के अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें.
– पारण के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं.
– उसके बाद अपना व्रत खोल लें.
इन बातों से आज करें परहेज :
– व्रती आज चावल और उससे बनी चीजों का सेवन नहीं करें.
– मांस- मदिरा सेवन आज नहीं करें.
– घरों में या आस-पास गंदगी नहीं रखें.
– किसी भी तरह के गलत कामों से दूर रहें.
– आज के दिन झूठ कतई न बोलें.
वरुथिनी एकादशी 2020 तिथि :
– वरुथिनी एकादशी शनिवार,अप्रैल 18, 2020 शनिवार को
– पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 05:51 AM से 08:27 AM (19 अप्रैल रविवार )
– पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 12:42 AM, 20 अप्रैल, सोमवार को
– एकादशी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 17, 2020 को 08:03 PM बजे
– एकादशी तिथि समाप्त – अप्रैल 18, 2020 को 10:17 PM बजे