Vat Purnima Vrat June 2022: वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) वट सावित्री व्रत के 15 वें दिन या 15 दिन बाद आता है. वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को रखते हैं, जो उत्तर भारत में सुहागन महिलाएं रखती हैं, वहीं वट पूर्णिमा व्रत महाराष्ट्र, गुजरात समेत दक्षिण भारत के राज्यों में रखा जाता है.
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वट पूर्णिमा व्रत तिथि: 14 जून दिन सोमवार
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वट पूर्णिमा व्रत तिथि प्रारंभ: 13 जून दिन सोमवार को रात 09 बजकर 02 मिनट
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पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 जून मंगलवार को शाम 05 बजकर 21 मिनट पर
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वट पूर्णिमा व्रत पूजा का शुभ समय: 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है
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वट पूर्णिमा व्रत का पारण तिथि: 15 जून 2022, बुधवार
वट सावित्री (Vat Purnima Vrat June 2022) का व्रत रखने वाली महिलाओं को दो टोकरियों में पूजा का सामान सजाकर रखना चाहिए. इसमें सावित्री और सत्यवान की मूर्ति, कलावा, बरगद का फल, धूप, दीपक, फल, फूल, मिठाई, रोली, सवा मीटर का कपड़ा, बांस का पंखा, कच्चा सूत, इत्र, पान, सुपारी, नारियल, सिंदूर, अक्षत, सुहाग का सामान, भीगा चना, कलश, मूंगफली के दाने, मखाने का लावा जैसी चीजें शामिल होती हैं.
वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat June 2022) 14 जून को रखा जाएगा. इस दिन प्रात:काल से साध्य योग बन रहा है, जो सुबह 09 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. पंचांग के अनुसार साध्य योग के बाद शुभ योग शुरू हो जाएगा. ये दोनों योग-साध्य और शुभ योग मांगलिक कार्यों के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं. वट पूर्णिमा व्रत की पूजा आप सुबह के समय में कर सकती हैं.
वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat June 2022) की महत्ता वट सावित्री व्रत के समान ही है. सावित्री अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज के पीछे पीछे चलती रहीं. उनके पतिव्रता धर्म से प्रसन्न होकर यमराज ने तीन वरदान दिए, जिसमें उनको सत्यवान के 100 पुत्रों की मां होने का वरदान भी शामिल था.
सत्यवान के जीवित होने पर ही सावित्री का 100 पुत्रों की माता बनना संभव हो पाता, इसलिए यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए क्योंकि वे वरदान देकर अपने वचन से बध गए थे. इस वजह से सभी सुहागन महिलाएं वट पूर्णिमा व्रत रखती हैं, ताकि उनके पति की आयु लंबी हो और वैवाहिक जीवन सफल एवं सुखद हो.